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Thursday, January 2, 2014

उत्तर प्रदेश के शामली जिले के दंगा पीड़ित के लिए सरकार द्वारा बनाए गए राहत कैम्प में रह रहे पीडितो के खिलाफ फारेस्ट विभाग द्वारा FIR किये जाने के सम्बन्ध में

सेवा में,                                      3 जनवरी, 2014

श्रीमान अध्यक्ष महोदय,
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग,
नए दिल्ली |

विषय : उत्तर प्रदेश के शामली जिले के दंगा पीड़ित के लिए सरकार द्वारा बनाए गए राहत कैम्प में रह रहे पीडितो के खिलाफ फारेस्ट विभाग द्वारा FIR किये जाने के सम्बन्ध में |

महोदय,
      आपका ध्यान इस और दिलाना चाहता हूँ कि मुजफ्फरनगर में हुए दंगो के बाद सरकार द्वारा उनके जान माल की सुरक्षा के लिए कई जगह राहत शिविर बनाये गए थे | जिसमे हजारो की संख्या में दंगा पीड़ित परिवार किसी तरह से अपनी जान बचाकर रह रहे थे | परन्तु सरकार की उदासीनता और प्रशासन की लापरवाही से कैम्प में रह रहे पीड़ित परिवारों को बुनियादी सुविधाओं तक के लिए मोहताज रहना पडा | एक तरफ सरकार द्वारा उन राहत कैम्पों की स्थिति के विषय में गलत रिपोर्ट जारी की गयी वही दूसरी और सरकार उनके मुआवजे देने की बात कर रही है पर हकीकत में हजारो पीडितो को आज तक कोइ भी मुआवजा नहीं मिला और बहुत से पीड़ित परिवारों का आज तक सर्वे ही नहीं हुआ |
      सरकार व प्रशासन द्वारा उन राहत कैम्पो में रह रहे पीड़ित परिवारों के पुनर्वासन और सुरक्षा के लिए कोइ भी समुचित कार्यवाही नहीं कर पाई | जिससे भयवश पीड़ित परिवार वापस अपने घरो को नहीं लौटना चाहते है | सरकार लगातार उन कैम्पों में जरूरत से ज्यादा सुविधाए देने की बात कह रही जिन सुविधाओं का लाभ उठाने के कारण पीड़ित परिवार अपने घर वापस नहीं जाना चाह रहे है जबकि वहा की बदहाली और ठण्ड में समुचित व्यवस्था नहीं किये जाने से कई बच्चो के मौत की खबर आ चुकी है और पीडितो द्वारा खुद यह कहा जा रहा है कि जब तक उनके परिवार की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं किये जायेंगे तब तक वो घर वापस जाने से डर रहे है | जब यह सच्चाई मीडिया, गैर सरकारी संगठनो और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के दौरे के बाद सार्वजनिक हुई तो सरकार और प्रशासन बौखला गया है और अब जबरदस्ती उन राहत कैम्पों को उजाड़कर वहा रह रहे पीड़ित परिवारों को धमकी दे कर भगाया जा रहा है |
      सबसे चौकाने वाली बात यह है कि उन राहत कैम्पों में रहने वाले हजारो परिवार के विरुद्ध फारेस्ट विभाग द्वारा जमीन कब्जा करने का मुकद्दमा पंजीकृत किया है | जो कि सीधे सीधे मानवाधिकार का उल्लघन है | क्योकि वह राहत कैम्प सरकार द्वारा लगाया गया था और वहा राहत सामग्री पहुचाई जा रही थी और कैम्प के त्रिपाल भी सरकार द्वारा ही मुहैया कराई गयी थी | साथ ही सरकार ने यह भी ऐलान किया था कि जब तक दंगे में पीड़ित परिवारों की सुरक्षा और पुनर्वासन की व्यवस्था नहीं की जायेगी सभी पीड़ित परिवार इन्ही राहत शिविरों में रहेंगे | फिर किस आधार पर फारेस्ट विभाग द्वारा उन पीडितो पर जमीन कब्जा का मुकदमा पंजीकृत कराया गया है | क्योकि पीडितो द्वारा उस जमीन पर न तो कोइ निर्माण किया गया है और न ही स्थाई निवास की कोशिश की जा रही है |
      अतः आपसे निवेदन है कि कृपया इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए इस पूरे प्रकरण की जांच कराते हुए दोषी प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ न्यायोचित कार्यवाही करने की कृपा करे | साथ ही पीड़ित परिवारों के पुनर्वासन और मुआवजा की व्यवथा अविलम्ब कराने की कृपा करे |

संलग्नक :   


भवदीय
डा0 लेनिन
महासचिव
मानवाधिकार जननिगरानी समिति
सा 4/2 ए दौलतपुर, वाराणसी

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