PVCHR initiative supported by EU

Reducing police torture against Muslim at Grass root level by engaging and strengthening Human Rights institutions in India

Thursday, October 24, 2013

मुजफ्फरनगर में हुए दंगे में अभी तक सभी पीडितो को न तो सरकार द्वारा राहत शिविर से पुनर्वासन किया गया और न ही कोइ भी ठोस कदम पुनः सौहार्द्य स्थापित करने हेतु उठाया गया के सम्बन्ध में |

सेवा में,                                    24 अक्टूबर, 2013
श्रीमान अध्यक्ष महोदय,
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग,
नई दिल्ली |
विषय : मुजफ्फरनगर में हुए दंगे में अभी तक सभी पीडितो को न तो सरकार द्वारा राहत शिविर से पुनर्वासन किया गया और न ही कोइ भी ठोस कदम पुनः सौहार्द्य स्थापित करने हेतु उठाया गया के सम्बन्ध में |

महोदय,
      आपको यह अवगत कराना है आज मुजफ्फरनगर दंगे को हुए कई माह बीत गए परन्तु राज्य सरकार द्वारा गठित श्री शिवपाल यादव, मा० मंत्री, लोक निर्माण एवं सिंचाई की अध्यक्षता में गठित सदभावना समिति की जाँच आख्या एवं संतुति के आधार पर यह स्पष्ट हो रहा है कि आज भी दंगे में पीड़ित लोग रहत शिविर में रह रहे है और राहत शिविर संचालन करने वाले मदरसों पर सरकार की समिति द्वारा ही व्यक्तिगत फायदे का आरोप लगाया जा रहा है | रिपोर्ट में हाय भी कहा गया कि पीड़ित लोगो को भ्रमित किया जा रहा है कि फारेस्ट की जमीन को न छोड़े तब यह प्रश्न खडा होता है कि जिनके अपने मकान और जमीन है वो लोग फारेस्ट की जमीन पर कब्जा क्यों करेंगे यदि उन्हें शांत वातावरण प्रदान किया जाय तो वे सभी सबसे पहले अपने घर लौटना चाहेंगे |
कृपया निम्नलिखित बातो की जांच की जाय -
1.      सरकार द्वार अभी तक कितने राहत शिविर बनाए गए है ?
2.      सरकार द्वारा इन सभी राहत शिविरों का संचालन करने की जिम्मेदारी किसको दिया गया है ?
3.      सरकार द्वारा दंगे से प्रभावित इलाको में सौहार्द्य स्थापित करने के लिए क्या-क्या कार्यवाही की गयी ?
4.      कितने दंगे प्रभावित क्षेत्र में प्रशासन द्वारा शांति समिति बनाई गयी ?
5.      सरकार या प्रशासन को पीडितो के पुनर्वासन में क्या परेशानिया आ रही है इस बात के लिए क्या कोइ कार्यवाही या चिन्हीकरण किया है ?
6.      सरकार द्वारा जितने भी पीडितो का पुनर्वासन कराया गया उसका क्या मानक तय किया गया ?
7.      दुबारा दंगे न हो इसके लिए सरकार और प्रशासन के क्या ठोस कदम उठाये है ?

कृपया उपरोक्त तथ्यों की जांच कराई जाय और जो समिति कि रिपोर्ट आयी है उसकी सत्यता की भी जांच की जाय क्योकि इस रिपोर्ट को देखकर लगता है कि इसमे सीधे एक समुदाय को जान बूझ कर गलत तरीके से आरोपित किया जा रहा है |
अतः आपसे अनुरोध है कि इस मामले को संज्ञान में लेते हुए इसपर कार्यवाही करने की कृपा करे ताकि इस तरह की भ्रांतियों से दोनों समुदाय में कटुता न बढे और इस कटुता को रोकते हुए सौहार्द्य स्थापित किया जा सके |

संलग्नक :
1.      श्री शिवपाल यादव, मा० मंत्री, लोक निर्माण एवं सिंचाई की अध्यक्षता में गठित सदभावना समिति की जाँच आख्या एवं संतुति रिपोर्ट की छाया प्रति |

भवदीय
डा0 लेनिन
महासचिव
मानवाधिकार जननिगरानी समिति
सा 4/ 2 ए दौलतपुर, वाराणसी


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Tuesday, October 22, 2013

उत्तर प्रदेश के जिला-मुरादाबाद, थाना-असमोली में मस्जिद मरम्मत में साम्प्रदायिक हिंसा सम्बंधित प्रकरण में पुलिस प्रशासन द्वारा एक तरफा कार्यवाही के सम्बंध में।

सेवा में,                                        22 अक्टूबर, 2013
श्रीमान् अध्यक्ष महोदय,
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग,
नई दिल्ली।

विषय:- उत्तर प्रदेश के जिला-मुरादाबाद, थाना-असमोली में मस्जिद मरम्मत में साम्प्रदायिक हिंसा सम्बंधित प्रकरण में पुलिस प्रशासन द्वारा एक तरफा कार्यवाही के सम्बंध में।

महोदय,
आपको अवगत कराना है कि पीडिता भूरी पत्नी मुशाहिद उत्तर प्रदेश में जिला-मुरादाबाद के थाना-असमोली, ग्राम-मतावली पट्टीपरशुराम उर्फ नया गाँव की निवासी है। दिनांक 02 अप्रैल, 2013 को उक्त गाँव का ही पण्डित रविन्द्र शर्मा मस्जिद मरम्मत को लेकर साम्प्रदायिक विवाद दिया। सम्बंधित प्रकरण में थाना-असमोली के S.O. साहब ने एक तरफा कार्यवाही करते हुए मुस्लिम समुदाय के 23 लोगों को 107/16 में निरुद्ध कर दिया। जिसमें तीन औरते भी शामिल हैं। उनमें एक 75 वर्ष की वृद्धा है जो निष्क्रिय सी हो चुकी है तथा 6 लोगों के खिलाफ धारा 147, 186, 153(A), 153(B) 353, 504 IPC व 7 क्रिमिनल ला एक्ट का मुकदमा कायम कर 4 लोगों को जेल भेज दिया।
इस प्रकार पंडित रविन्द्र शर्मा और उसके सहयोगियों द्वारा मुस्लिम समुदाय पर किसी न किसी रुप में यातनाओं का कहर जारी रहता है। दिनांक 03 अप्रैल, 2013 को पीडिता के बच्चें पास में स्थित पंडित राजेश शर्मा पुत्र-राम किशोर व महेन्द्र शर्मा उर्फ बब्लू के समरशिबल से पानी लेने गये इस पर राजेश शर्मा अकारण उसके बच्चों को मार-पिट कर भगा दिया। पीडिता राजेश शर्मा से बच्चों को मारने का कारण पुछी तो राजेश शर्मा व महेन्द्र शर्मा ने भूरी को गाली देते हुए उसके घर में घुसकर मारने-पिटने लगे फावडे से उसके बाये कन्धे पर प्रहार कर जख्मी कर दिये।
उसी अवस्था में पीडिता गाँव में ही तैनात पुलिस के पास शिकायत लेकर पहुँची तो पुलिस ने घटना का निरिक्षण कर अभियुक्तो को हिरासत में ले लिया तथा पीडिता को असमोली थाना रिपोर्ट दर्ज कराने व मेडिकल हेतु भेज दिया। तभी उक्त थाना के S.O. साहब द्वारा उस पुलिस वहाँ से हटवा दिया गया। भूरी द्वारा थाना पर रिपोर्ट दर्ज करवाने की बात पर S.O. साहब ने उसे पहले मेडिकल हेतु भेज दिया।
पीडिता मेडिकल हेतु सम्भल गयी तो डाक्टरों ने उसके मेडिकल से इन्कार कर दिया क्योंकि मेडिकल दाये हाथ हेतु लिखा या जबकि चोट बाए हाथ पर थी पीडिता द्वारा दूबारा शिकायत एस00 साहब से करने पर उसे डाटते हुए डराया धमकाया गया व फिर कोई कार्यवाही न करने हेतु हिदायत दिय गयी।
इस प्रकार सम्बंधित प्रकरण पर पुलिस वालों द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी। जिससे आये दिन पीडिता को राजेश शर्मा व उसके सहयोगियों के यातानाओं का सामना करना पड़ता है। इससे पीडिता अत्यन्त सहमी व भयभीत रहती है तथा अपने लिये न्याय व सुरक्षा की गुहार हेतु पुलिस थाने का चक्कर लगाते-लगाते हताश हो चुकी हैं।
अतः आपसे निवेदन है कि उक्त प्रकरण को संज्ञान में लेते हुए प्रशासन को पीडिता व इसके परिजनों के जान-माल की सुरक्षा मुहैया करवाते हुए सम्बंधित थाना पुलिस व S.O. के खिलाफ उचित कार्यवाही कर अभियुक्तो के प्रति सख्त कार्यवाही हेतु आदेश देने की कृपा करें ।

संलग्नक :
1.    पीडिता द्वारा पूर्व में थाने पर दिया गया प्रार्थना पत्र की प्रति |



भवदीय
डा0 लेनिन
महासचिव
मानवाधिकार जननिगरानी समिति,
सा 4/2 ए दौलतपुर, वाराणसी,

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उत्तर प्रदेश के जिला-अलीगढ़, थाना-सिविल लाइन में विवाहिता घर से उसके ससुराल वालो द्वारा चोरी करने व मुकद्दमा लिखवाने पर जान लेवा हमला करने के बावजूद पुलिस द्वारा FIR दर्ज न करने के सम्बन्ध में |


सेवा में,                                         22 सितम्बर, 2013

श्रीमान अध्यक्ष महोदय,

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग

नर्इ दिल्ली।

 

विषय :- उत्तर प्रदेश के जिला-अलीगढ़, थाना-सिविल लाइन में विवाहिता घर से उसके ससुराल वालो द्वारा चोरी करने व मुकद्दमा लिखवाने पर जान लेवा हमला करने के बावजूद पुलिस द्वारा FIR दर्ज न करने के सम्बन्ध में |

 

महोदय,

 

आपको अवगत कराना है कि पीडिता अमरीन उम्र-20 वर्ष पत्नी अरशद, पुत्री-स्व0 शौकत अली उत्तर प्रदेश के जिला-अलीगढ़, थाना-सिविल लाइन के गली न0-1 लोको कालोनी की निवासी हैं। पीडिता की शादी 7 वर्ष पुर्व उत्तर प्रदेश के जिला-हाथरस, थाना-कोतवाली के कैलाशनगर निवासी अरशद खां पुत्र-स्व0 बाबु खां के साथ हुर्इ है। पीडिता के पास दो बच्चों 53 वर्ष के हैं। ससुराल में पीडिता के प्रति उसके पति के अलावा किसी का व्चवहार अच्छा नही था।

दिनांक 16 अप्रैल, 2013 को सुबह 4:00 बजे वैन से मुरादाबाद जाते हुए पीडिता के पति अरशद की टैंकर के टक्कर हो गयी थी जिन्हे उपचार हेतु मेडिकल कालेज अलीगढ़ ले जाया गया था। घटना की खबर पीडिता को लगते ही वह भी पति को देखने मेडिकल कालेज चली गयी।

उसी दिन शाम 5 बजे पडोसी हुमा पुत्री-श्री नज्जू पीडिता से फोन पर उसके कमरे की आलमारी खुली होने तथा लाकर टुटे होने व सारे जेवर लापता होने की खबर दी यह सुनते ही पीडिता थाना लाइन में FIR दर्ज कराने जा रही थी कि उसे उसकी सास, ननद, सीमा व सार्इरा तथा देवर वसीम पकड़ लिये तथा FIR दर्ज करने से मना कर दिये क्योंकि पीडिता के सोने चांदी व जेवर उन्ही लोगों ने चोरी किये थे और उसके कमरे की चाभी ननद के ही पास थी ।

पीडिता द्वारा जबदस्ती थाने पर सूचना देनें की बात से उक्त अभियुक्तो ने उसे अस्पताल पर ही मारा-पीटा व धमकी दी जिसकी खबर पीडिता अपने भार्इ मुशर्रफ को दी तथा उसी ने पीडिता की सुरक्षा की ।

पीडिता ने इसकी तहरीर थाना-सिविल लाइन पर की फिर भी पुलिस ने FIR नही दर्ज किया और न ही मामले की छानबीन कर अभियुक्तों को पकड रही है ।

अत: आपके निवेदन है कि उक्त प्रकराण को संज्ञान में लेते हुए FIR दर्ज कर अभियुक्तों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही व जेवर बरामदगी हेतु आदेश देने की कृपा करे तथा पीडिता के जान-माल की सुरक्षा हेतु संरक्षण प्रदान करवाने की कृपा करें ।

 

संलग्नक :

1.             1पीडिता द्वारा पूर्व में थाने में दिए गए प्रार्थना पत्र की प्रति |


भवदीय

डा0 लेनिन

महासचिव

मानवाधिकार जननिगरानी समिति,

सा 4/2 ए दौलतपुर, वाराणसी,

+91-9935599333

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Monday, October 21, 2013

वाराणसी जिले के थाना लोहता के रहीमपुर गाँव के असहाय अल्पसंख्यक महिला के ऊपर अंधविश्वास का आरोप लगाकर दबंग व्यक्ति द्वारा मारने-पीटने गाली देने व छेड़खानी करने के सन्दर्भ में

सेवा में,                                                                                 21 अक्टूबर, 2013
            श्रीमान् अध्यक्ष महोदय
            राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग,
      नई दिल्ली |

विषयः- वाराणसी जिले के थाना लोहता के रहीमपुर गाँव के असहाय अल्पसंख्यक महिला के ऊपर अंधविश्वास का आरोप लगाकर दबंग व्यक्ति द्वारा मारने-पीटने गाली देने व छेड़खानी करने के सन्दर्भ में |

महोदय,
            निवेदन है कि प्रार्थिनी रूकसाद बानो उर्फ रौशन जहाँ पुत्री स्व0 गुलाम हुसैन ग्राम-रहीमपुर, पोस्ट-लोहता, थाना-लोहता, जिला-वाराणसी की मूल निवासिनी है | प्रार्थिनी निहायत गरीब असहाय बेरोगार जाति की मुस्लिम महिला है | प्रार्थिनी के परिवार मे प्रार्थिनी के अलावा और कोई नहीं है | प्रार्थिनी अपना भरण-पोषण बहुत मुश्किल से कर पाती है | प्रार्थिनी को दबंग व्यक्ति कल्लू मोकादम व दो अन्य व्यक्ति निवासी मौजा धन्नीपुर, पोस्ट-लोहता, थाना-लोहता, जिला-वाराणसी के प्रार्थिनी के घर दिनांक 20.09.2013 को रात में 10:00 बजे शराब के नशे में आये और प्रार्थिनी के साथ अश्लील हरकत करने लगे जब प्रार्थिनी विरोध की तो लोग उसके ऊपर टोनही को आरोप लगा कर मारने लगे जिससे प्रार्थिनी को काफी चोंट आयी। प्रार्थिनी अपनी बचाव के लिए जोर-जोर से चिल्लाने लगी लेकिन उसका साथ कोई नहीं दिया वे दबंग व्यक्ति जोर-जबरजस्ती करते हुए प्रार्थिनी को अपने घर तक लाये और बाले कि मेरी बेटी को टोना की हो उसे ठीक करो नही तो जान से मार देगें। प्रार्थिनी लोगों का हाथ-पाव जोड़ कर दया अपने को छोड़ने की गहार कर रही थी लेकिन वे दबंग व्यक्ति को जरा सी रहम नहीं आयी लोग निर्देयता पूर्वक जोर-जबरजस्ती करते हुए पुनः मारने-पीटने लगे। प्रार्थिनी किसी प्रकार से अपनी जान बचाकर अपने घर आयी। प्रार्थिनी की देख-रेख करने वाला कोई नहीं है। प्रार्थिनी भूखमरी के कगार पर खड़ी है। प्रार्थिनी दूसरे दिन लोहता थाने गयी वहाँ दबंग व्यक्ति के खिलाफ धारा 323,504,506 आई.पी.सी के तहत मुकदमा दर्ज करायी। अभियुक्त के खिलाफ अभी तक कोई कानूनी कार्यवाही नहीं की गयी।
            अतः श्रीमान जी विनम्र निवेदन है कि प्रार्थिनी के प्रार्थना पत्र को संज्ञान में लेते हुए उसके भरण-पोषण व पुर्नवासन हेतू आर्थिक सहयोग धनराशि प्रदान करने की कृपा करें। तथा दबंग व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने की कृपा करे। ताकि न्याय हो।
             

   भवदीय
 डा0 लेनिन
 (महासचिव)
मानवाधिकार जननिगरानी समिति,
सा 4/2 ए दौलतपुर, वाराणसी,

+91-9935599333
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Sunday, October 6, 2013

India: In Aftermath of Riots, Support Sexual Assault Victims

To,
The Chief Minister,
Uttar Pradesh Government,
Lucknow.
 
Dear Sir,
 
I want to bring in your kind attention towards the information published in Human Rights Watch India: In Aftermath of Riots, Support Sexual Assault Victims http://www.hrw.org/news/2013/10/04/india-aftermath-riots-support-sexual-assault-victims
 

(New York) – Indian authorities should properly investigate all crimes, including allegations of sexual assault and gang rape during last month's communal violence in the northern state of Uttar Pradesh, Human Rights Watch said today.

Authorities should also develop a plan for prompt relief, return or resettlement, and reparations for the riot-displaced and create a secure environment for investigation and prosecution.

Reports of sexual assault have started to surface following the September communal violence in Muzaffarnagar district in Uttar Pradesh that killed more than 50 people and displaced tens of thousands. Many, including girls, are still missing. So far, five criminal complaints of gang rape and two cases of sexual harassment have been registered by the local Uttar Pradesh police.

Indian activists who have visited riot-affected communities report that other Muslim women may have suffered sexual assault, including rape, but have not registered criminal complaints because of the fear of reprisals, stigma, and a lack of faith in state institutions. They are therefore unable to access crucial services including psychosocial counseling, legal aid, emergency medical care, and reproductive health services responsive to the effects of sexual violence.

"The Uttar Pradesh government needs to urgently create an environment for victims to come forward and seek justice," said Meenakshi Ganguly, South Asia director at Human Rights Watch. "Rape victims in communal violence take time to find the confidence to come forward, leaving them without crucial psychological, medical, and other support."

The September 7 outbreak of communal violence between Hindu and Muslim communities occurred in Muzaffarnagar and spread to surrounding districts of Uttar Pradesh state after a violent altercation that killed two Hindus and a Muslim. The incident, however, sparked rumors of threatened Muslim violence. Hindus from the Jat community, incited by inflammatory speeches from political leaders in a massive gathering, started attacking Muslim communities.

The violence lasted three days, a curfew was imposed, and the Indian army was deployed to restore law and order. By then thousands of Muslims had fled their homes and many are still housed in makeshift relief camps.

In a complaint to the police, one woman described howshe tried to escape the attack on her home by Jat men, but five of them caught and threatened her with a weapon. They forced her inside a house and raped her. She registered her complaint nearly three weeks after the incident, explaining she did not come forward earlier because of fear. All the women who came forward have identified the perpetrators of gang rape.

Instead of taking steps to create an environment that builds the confidence of rape victims, initial responses by police officers recording criminal complaints indicated the opposite. When Human Rights Watch spoke to two officers in charge of the police stations in Muzaffarnagar where the sexual abuse complaints have been filed, both of them raised questions over the legitimacy of complaints pointing to the delay in registering them.

The failure to provide proper rehabilitation and a secure environment for victims to seek justice and reparations exposes serious administrative lapses by Uttar Pradesh state authorities.

"A month after the riots took place, the Uttar Pradesh government has still not set out a concrete plan for proper relief, rehabilitation, and reparations," said Ganguly. "The authorities need to assess the extent of damage, create a secure environment for reporting abuses, and provide services to victims."

The Uttar Pradesh state authorities should set up camps with adequate services for the displaced. Services in the camps should be in accordance with the United Nations Guiding Principles of Internally Displaced Persons (IDPs). According to the UN Guiding Principles such services should be developed with the full and free participation of displaced communities and without discrimination. At a minimum, services should guarantee an adequate standard of living, essential food and potable water, basic shelter and housing, appropriate clothing, and essential medical services and sanitation.

Map plan; put in place law to deal with communal violence
Simultaneously, state authorities should develop a longer-term plan to assist communities to return or resettle, and to recover their properties. Where such recovery is impossible, the state authorities should assist affected communities in obtaining appropriate compensation or other forms of reparation as appropriate.

A plan for reparation should be mapped in consultation with riot-affected communities and rights groups working with them. It should be in accordance with the UN Basic Principles and Guidelines on the Right to Remedy and Reparation for Victims of Gross Violations of International Human Rights Law. According to these principles, compensation should be provided for any economically assessable damage, including lost opportunities such as employment, education, and social benefits; and material damages and loss of earnings, including loss of earning potential.

The relief and reparation plans should take into account the specific needs of women, especially victims of sexual violence residing in these camps. Care should be taken to design relief and reparation programs in consultation with women, including rape victims, to address their concerns about trauma, stigma, fear of reprisals, and the communal violence's long-term impact on their lives. Reproductive and sexual health services and psychosocial support should be provided to all women who need them – whether they are victims of sexual violence or not. The World Health Organization guidelines for medico-legal care for victims of sexual violence should be followed which state that the health and welfare of a survivor of sexual violence is "the overriding priority" and that the provision of forensic services cannot take precedence over health needs.

"Uttar Pradesh state authorities have set up a special investigation team to look into crimes," Ganguly said. "But nearly a month after the announcement very little is known about the team, its approach to addressing sexual violence in a gender-sensitive manner, or the resources at its disposal to ensure victim and witness protection."

State authorities should immediately make public and disseminate information about the special investigation team and the resources made available to conduct a thorough and impartial criminal investigation, including its ability to take victim and witness protection measures.

India should also enact a strong law to prevent and respond to communal violence in the country in consultation with rights activists who have experience assisting victims of communal violence. Such a law should be in compliance with well-established international human rights principles, said Human Rights Watch. These include state accountability for failure to prevent and respond to communal riots, including command or superior responsibility, non-discrimination, principles of relief, return, and resettlement in line with UN Guiding Principles, and the right to remedy and reparation in line with UN Basic Principles and Guidelines on Remedy and Reparation.  

"Despite riot after riot, Indian authorities have not learned to prevent such violence, assist victims, or ensure justice," Ganguly said. "An effective law to deal with communal violence is long overdue and now is the time to move quickly to put it in place." 

 

  Therefore it is a kind request please take appropriate action at earliest.

 
 
Sincerely yours

Lenin Raghuvanshi
Secretary General 
Peoples' Vigilance Committee on Human Rights (PVCHR)
Sa 4/2 A Daulatpur, Varanasi
Mobile no. 09935599333

 

  

Wednesday, October 2, 2013

उत्तर प्रदेश के जिला-अलीगढ़, थाना-देहलीगेट में एक युवक के घर नशीला पदार्थ पिलाकर लाखों की चोरी व बृद्ध महिला के ह्त्या के सम्बंधित प्रकरण को पुलिस को अवगत कराने के बाद भी कोई ठोस कार्यवाही न होने के सम्बंध में।

2 अक्टूबर, 2013

सेवा में,

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग,  

नई दिल्ली।

 

विषय:- उत्तर प्रदेश के जिला-अलीगढ़, थाना-देहलीगेट में एक युवक के घर नशीला पदार्थ पिलाकर लाखों की चोरी व बृद्ध महिला के ह्त्या के सम्बंधित प्रकरण को पुलिस को अवगत कराने के बाद भी कोई ठोस कार्यवाही न होने के सम्बंध में।

 

महोदय,

आपको अवगत कराना चाहता हूँ कि पीडित अब्दुल जमील उम्र-58 वर्ष पुत्र-स्व0 अब्दुल कलीम उत्तर प्रदेश में जिला-अलीगढ़, थाना-शाहजमाल के गली न0-3 तेलीपाडा का निवासी है। दिनांक 26 अप्रैल, 2013 को पीडित की पत्नी अम्बूल बेगम व बच्चों सहित अपने साले मो0 इस्लाम की शादी में खंदौली, अमरा गया था। घर में पीडित का एक 18 वर्षीय पुत्र-कासिम व बुढी माँ जहूरन उम्र-80 वर्ष थे। 28 अप्रैल, 2013 की रात पीडित का पुत्र कासिम अपने दोस्तों शरिफ पुत्र-गुलजार, फरमान पुत्र-आबिद अली निवासी तेलीपाडा, वसीम पुत्र-नामालुम आदि के साथ रात में फिल्म देख रहा था। जिसमें फरमान रात में दुध लाकर सभी को पिलया दुध में नशीला पदार्थ होने के कारण सभी बेसुध सो गये परन्तु पीडित की माँ दुध नही पी थी अतः वह सामान्य अवस्था में ही सोई हुई थी।

उसी रात को पीडित को उसकी माँ की हत्या कर चोरी की खबर मिली। पीडित आकर देखा तो उसकी माँ के हाथ-पैर चौकी में बंधे थे व मुँह व नाक पर डुपट्टे से बांधा गया था और वह मृत्यवस्था में पड़ी थी | इस मामले को देख हत्या कर लूटपाट की वारदात साथ दिखाई पड़ रही थी । इस संदिग्ध मौत के बारे में कुछ स्पष्ट कर पाना अत्यन्त मुश्किल हो गया हैं।

अतः आपसे निवेदन है कि उक्त प्रकरण को संज्ञान में लेते हुए पुलिस प्रशासन को गम्भीरतापूर्वक मामले की छानबीन कर वृद्ध के मृत्यु के रहस्य का पर्दाफाश करके अभियुक्तों के खिलाफ कठोर कार्यवाही हेतु आदेश देने की कृपा करें | आज तक पुलिस द्वारा इस मामले में कोइ भी खुलासा नहीं किया गया और न ही किसी की गिरफ्तारी की गयी |

 

संलग्नक :

1.     FIR की छाया प्रति |

 

 

 

 

भवदीय

डा0 लेनिन

महासचिव,

मानवाधिकार जननिगरानी समिति,

सा 4/2 ए दौलतपुर, वाराणसी,

+91-9935599333

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Tuesday, October 1, 2013

उत्तर प्रदेश के जिला-अमरोहा, थाना-कोतवाली में नाबालिग लड़की से छेडखानी के विरोध पर युवक की हत्या का प्रयास सम्बंधित प्रकरण में पुलिस द्वारा FIR दर्ज करने पर भी पुलिस द्वारा आज तक कोई कार्यवाही न होने के सम्बंध में

2 अक्टूबर, 2013

सेवा में,

श्रीमान् अध्यक्ष महोदय,

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग,  

नई दिल्ली |  

 

विषय:- उत्तर प्रदेश के जिला-अमरोहा, थाना-कोतवाली में नाबालिग लड़की से छेडखानी के विरोध पर युवक की हत्या का प्रयास सम्बंधित प्रकरण में पुलिस द्वारा FIR दर्ज करने पर भी पुलिस द्वारा आज तक कोई कार्यवाही न होने के सम्बंध में |  

 

महोदय,

आपको अवगत कराना चाहता हूँ कि पीडिता रानी पत्नी इसराईल खां उत्तर प्रदेश में जिला-अमरोहा, थाना-कोतवाली के अहमद नगर (बारी सराय) नियर नायाब टाकीज रोड़ की निवासी हैं | परन्तु वर्तमान में उक्त जिले के ही जिला अस्पताल के समीप रहती है |

पीडिता की बेटी सोनी जो कक्षा-9 में पढती है | स्कूल जाते वक्त आये दिन मुहल्ले के शाक अली सराय अमरोहा निवासी युवक दानिश पुत्र-लियाकत पीडिता की बेटी पर फब्तियां कसता रहता है। परन्तु अभियुक्त के हरकतो को नजर अन्दाज करते हुए सोनी स्कूल जाती रही | इससे दानिश का मन और भी बढ़ता गया और वह मुहल्ले की गली में स्कूल जाते वक्त पीडिता की बेटी के साथ छेडखानी करने लगा व जबरदस्ती सम्बंध बनाने हेतु जान से मारने की धमकी देने लगा | किसी तरह पीडिता जान बचाकर अपने घर आयी व परिजनो को घटना से अवगत करायी | जिस पर पीडिता का पति इसराईल अभियुक्त के घर गया व अब ऐसा न करने हेतु चेतवानी दी | फिर भी पुत्री संग छेडखानी में कोई कमी न देख पीडिता थाना कोतवाली में अभियुक्त के विरुद्ध एफ0आई0आर0 दर्ज करायी परन्तु पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की |

पुलिस के ऐसे लचीलेपन रवैये से अभियुक्त का मन और भी बढ़ता गया तथा उक्त मुहल्ले में पीडिता की बेटी को बदनाम करने की नियत से कोर्ट मैरिज कर चुका है कि बात कहता हैं | जिससे पीडिता और उसकी की बेटी को परेशानियों का सामना करना पड़ता है | अभियुक्त की करतुत और प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही न होता देख उसने विषावक्त पदार्थ खा आत्महत्या की कोशिश की हालत में गम्भीरता को देखते हुए परिजनों ने जिला-अस्पताल ले जा उसका उपचार कराया।

अभियुक्त अभी भी सक्रिय थे, मौका देख पीडिता के घर में घुस कर उसके पति व भाई सनोब्बर व पुत्रों पर केस वापस न लेने पर जान लेवा हमला कर जख्मी कर दिये तथा धमकियां देते हुए फरार हो गये |

पीडिता द्वारा प्रशासन से लाख गुहार पर भी सुनवाई नही होती तथा प्रशासन की लापरवाही  से अभियुक्तगण निडर होकर खुलेआम  घुमते है जिससे पीडिता के परिजन सदैव दहशत में रहते है व पुत्री भी स्कूल जाना छोड चुकी है।

अतः आपसे निवेदन है कि उक्त प्रकरण को संज्ञान में लेते हुए प्रशासन पर अभियुक्तों के खिलाफ कडी कार्यवाही करने व पीडिता व उसके परिवार को जान माल की सुरक्षवा हेतु संरक्षण मुहैया करवाते हुए आदेश देने व न्यायोचित कार्यवाही करने की कृपा करें |

 

 

 

 

भवदीय

 

 

डा0 लेनिन

महासचिव,

मानवधिकार जननिगरानी समिति,

सा 4/2 ए दौलतपुर, वाराणसी,

+91-9935599333

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7 सितम्बर, 2013 को माननीय मुख्यमंत्री महोदय से की गयी शिकायत पर जिला प्रशासन अम्बेडकरनगर को कार्यवाही का आदेश

                                                                                                                                       


सेवा में,                                                7 सितम्बर, 2013
माननीय मुख्यमंत्री महोदय
उत्तर प्रदेश सरकार,
लखनऊ |
 विषय:- उत्तर प्रदेश के जिला-अम्बेडकरनगर, थाना-बेवाना में एक युवक पर सत्ताधारी दबंगों द्वारा झुठे केस में फसाकर एफ0आई0आर0 दर्ज कराया गया। सम्बंघित प्रकरण में पीडित द्वारा न्याय मांगने के सन्दर्भ में।
महोदय,
आपको अवगत कराना चाहते है कि पीडित मो0 शरीफ पुत्र-आजिद उत्तर प्रदेश के जिला-अम्बेडकरनगर, थाना-बेवाना, ग्राम-रसूलपुर का निवासी हैं।
उक्त गांव की दलित बस्ती के समीप आवादी की जमीन है, जिस पर कुछ सत्ताधारी दबंग युवक कब्जा करना चाहते है। पीडित द्वारा इसकी खिलाफत करने पर दबंगो ने उसे डरा-धमकाकर उसके खिलाफ झुठे केस में एफ0आई0आर0 धारा 406,419,420,504,506,IPC के तहत करवा दिया गया। पीडित को इससे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं ।
       अतः आपके निवेदन है कि उक्त प्रकरण को संज्ञान में लेते हुए उक्त दबंगो के खिलाफ कार्यवाही तथा पीडित का न्याय दिलाने की कृपा करें मामले की निष्पक्ष एजेन्सी द्वारा जाच कराकर न्यायोचित कार्यवाही करने की कृपा करें।  

भवदीय
डा0 लेनिन
महासचिव,
मानवाधिकार जननिगरानी समिति,
सा 4/2 ए दौलतपुर, वाराणसी,
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