PVCHR initiative supported by EU

Reducing police torture against Muslim at Grass root level by engaging and strengthening Human Rights institutions in India

Wednesday, October 3, 2012

Fwd: केस संख्या 6837/24/19/2012 के सन्दर्भ मे आवेदक डा0 लेनिन का कमेंट के सम्बन्ध मे।



---------- Forwarded message ----------
From: PVCHR MINORITY <minority.pvchr@gmail.com>
Date: 2012/10/3
Subject: केस संख्या 6837/24/19/2012 के सन्दर्भ मे आवेदक डा0 लेनिन का कमेंट के सम्बन्ध मे।
To: covdnhrc@nic.in, ionhrc@nic.in
Cc: akpnhrc@yahoo.com, jrlawnhrc@hub.nic.in, Lenin Raghuvanshi <pvchr.india@gmail.com>, lenin@pvchr.asia


सेवा मे,                                   दिनांक : 3/10/2012 
असिस्टेंट रजिस्ट्रार (ला), 
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, 
नई दिल्ली।  

विषय : केस संख्या 6837/24/19/2012 के सन्दर्भ मे आवेदक डा0 लेनिन का कमेंट के सम्बन्ध मे।   

महोदय,
        आपके दवारा आज दिनांक 3/10/2012 को पत्र प्राप्त हुआ साथ ही पुलिस द्वारा दी गयी रिपोर्ट भी प्राप्त हुयी । जिस पर आप द्वारा मुझसे कमेंट मांगा गया था जो कि निम्नवत है :
  • यह बात पुलिस प्रशासन को पहले से ही पता थी कि ग्राम मलोखर एवम दुल्हीपुर मे हिन्दू व मुस्लिम वर्ग के लोगो से पूर्व से ही विवाद होना परिलक्षित हुआ। थाने के रजिस्टर न0 8 के भाग 4 मे तत्कालीन   
      प्रभारी निरीक्षक श्री ए0 के0 सिंह द्वारा वर्ष 1994 मे अंकित किया गया था ।
  •  जिसके बावजूद भी निरीक्षक द्वारा थाना मुगलसराय के रोजनामचा आम मे दिनांक 26/11/2011 से 6/12/2011 तक के पुलिस बल की ना तो कोई विशेष रवानगी दिखाई गयी और न ही आमदा पर ग्राम मलोखर क्षेत्र के सम्बन्ध मे साम्प्रदायिक घटना के विषय मे कोई विवरण अंकित किया गया ।
  • रोजनामचा आम मे मात्र यह अंकित किया गया है कि मुहर्रम त्यौहार के सम्बन्ध मे सूचना संकलित की गयी किंतु कोई उल्लेखनीय तथ्य प्रकाश मे नही आया । निरीक्षक द्वारा दिनांक 25, 26, 27, 30/11/2011 व 1, 2, 6/12/2011 तक क्षेत्र मे मात्र रवानगी व आमद दिखाई गयी है। किंतु कोई खास उल्लेखनीय बात इन्द्राज नही किया जाना अजीब सी बात लगती है।
  • जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि उपनिरीक्षक जयंती लाल और प्रभारी निरीक्षक श्री राम सागर द्वारा मुहर्रम के त्यौहार के सम्बन्ध मे बरती जाने वाली सतर्कता के सर्वथा विपरीत कृत्य है।
  •  उनके द्वारा कोई भी पीस कमेटी का गठन नही किया गया था।
  •  इस अमानवीय घटना मे जितने भी बयान लिये गये है वो सभी हिन्दुओ के ही है किसी भी मुस्लिम व्यक्ति का बयान नही लिया गया है। 
  • सारे पुलिस कर्मी के नाम से प्रतीत होता है कि सभी हिन्दू ही है और विवेचना भी सभी हिन्दू पुलिस वालो ने की है।
  •  हीरा लाल यादव जो कि इस मामले मे एक अभियुक्त है पुलिस ने उसका बयान लिया है पर किसी भी मुस्लिम व्यक्ति का बयान नही लिया है।
  •  इस केस मे पुलिस द्वारा बार बार यह कहा जा रहा है कि मुस्लिम समुदाय के लोग तलवार, बल्लम, लाठी व डंडे से हमला किये लेकिन पुलिस ने एक भी मेडीकल रिपोर्ट प्रस्तुत नही किया।
  • पहले से क्षेत्र संवेदित था फिर भी पुलिस बल समुचित संख्या मे नही था।
 उपर्युक्त  तथ्यो को देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि पुलिस ने एकतरफा धार्मिक आधार पर कार्यवाही जानबूझकर की है ।
अतः उपरोक्त तथ्यो को ध्यान मे रखकर किसी निष्पक्ष एजेंसी से इस पूरे मामले की जांच कराई जाय।

भवदीय
डा0 लेनिन
महासचिव
मानवाधिकार जन निगरानी समिती
     











No comments:

Post a Comment