सेवा मे, दिनांक : १६ अक्टूबर, २०१२
अध्यक्ष महोदय,
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग,
नई दिल्ली |
विषय : आजमगढ़ जिले के देवगांव कोतवाली क्षेत्र लालगंज कस्बे के रहने वाले २ युवको को नौकरी के नाम पर महाराष्ट्र प्रांत के औरंगाबाद ले जाकर युवकों को बंधक बनाये जाने के सम्बन्ध मे |
महोदय,
आपका ध्यान दिनांक १६ अक्टूबर, २०१२ के दैनिक अखबार अमर उजाला के इस खबर" नौकरी के नाम पर औरंगाबाद ले जाकर युवकों को बंधक बनाया" की और आकृष्ट कराना चाहता हूँ |
आजमगढ़ जिले के देवगांव कोतवाली क्षेत्र लालगंज कस्बे के रहने वाले २ युवको को रोजगार के नाम पर युवकों से कहीं धन ऐंठा जा रहा, कहीं वे जालसाजों के चंगुल में फंसकर जान पर खतरा मोल ले रहे। ऐसा ही एक मामला लालगंज कस्बे में उस समय प्रकाश में आया जब औरंगाबाद से जानबचाकर भाग कर आए युवकों ने अपनी आपबीती परिजनों को सुनाई।
रोजगार दिलाने के नाम पर ढाई वर्ष पूर्व घर से अपने साथ ले गए दो युवकों के किसी तरह से लौटने पर पता चला कि उन्हें महाराष्ट्र प्रांत के औरंगाबाद में बंधक बनाया गया था। उनको दी गई यातनाएं की पुष्टि उनके शरीर पर मौजूद चोट से होती है। इस समय युवकों को सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया। परिजन अपने आंखों के तारों का उपचार करने के बाद उन पर हुए जुल्म के विरुद्ध आवाज उठाने की सोच रहेहैं।
यातना के पीड़ित युवकों में एक रहमत देवगांव कोतवाली क्षेत्र के लालगंज बाजार स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर स्वीपर के पद पर तैनात अहमद का पुत्र है। पीड़ित अहमद के अनुसार ढाई वर्ष पूर्व लालगंज कस्बे के रहने वाला एक व्यक्ति उसके पुत्र रहमत अली उर्फ डब्लू (20) और रिश्तेदार के पुत्र सलीम (18) पुत्र नसीब को अपने साथ काम दिलाने के नाम पर ले गया। इसके बाद दोनों का पता नहीं चला। अब जब दोनों किसी तरह से वापस लौटे तो पता चला कि उन्हें महाराष्ट्र के औरंगाबाद में स्थित एक बेकरी में काम दिलाया गया। जहां काम करने के एवज में उन्हें प्रताड़ित किया जाता था। दोनों युवकों ने विरोध कर घर वापस लौटने को कहा तो उन्हें बंधक बना लिया गया। इतना ही नहीं प्रताड़ना के नाम पर उन्हें गर्म लोहे की सलाखों से दाग दिया जाता था। दोनों को इतना भयभीत कर दिया गया कि वे चाह कर भी किसी को अपने दुख दर्द के बारे में नहीं बता पाते थे। किसी तरह से ढाई वर्ष बाद दोनों वहां से भागकर रविवार को अपने घर पहुंचे। दोनों युवकों की दशा देख उनके परिजनों के साथ अस्पताल के लोग भी दहल गए। डाक्टरों ने रहमत अली की हालत गंभीर देख उसे जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। रहमत अली को जिला अस्पताल के वार्ड नंबर अस्पताल मे भर्ती है। जबकि सलीम का सीएचसी में उपचार चल रहा है।
अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि इस मामले को संज्ञान मे लेते हुए दोषियों के खिलाफ कार्यवाही का आदेश दे और पीडितो को मुआवजा दिलाया जाय जिससे उनके पुनर्वासन और उपचार मे सहयोग हो सके |
संलग्नक : http://epaper.amarujala.com/svww_index.php
http://epaper.amarujala.com/svww_zoomart.php?Artname=20121016a_006181011&ileft=227&itop=90&zoomRatio=130&AN=20121016a_006181011
भवदीय
डा० लेनिन
महासचिवमानवाधिकार जन निगरानी समिती
सा 4/2 ए दौलतपुर, वाराणसी
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lenin@pvchr.asia
नौकरी के नाम पर औरंगाबाद ले जाकर युवकों को बंधक बनाया
•
अमर उजाला ब्यूरो
आजमगढ़। रोजगार के नाम पर युवकों से कहीं धन ऐंठा जा रहा, कहीं वे जालसाजों के चंगुल में फंसकर जान पर खतरा मोल ले रहे। ऐसा ही एक मामला लालगंज कस्बे में उस समय प्रकाश में आया जब औरंगाबाद से जानबचाकर भाग कर आए युवकों ने अपनी आपबीती परिजनों को सुनाई।
रोजगार दिलाने के नाम पर ढाई वर्ष पूर्व घर से अपने साथ ले गए दो युवकों के किसी तरह से लौटने पर पता चला कि उन्हें महाराष्ट्र प्रांत के औरंगाबाद में बंधक बनाया गया था। उनको दी गई यातनाएं की पुष्टि उनके शरीर पर मौजूद चोट से होती है। इस समय युवकों को सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया। परिजन अपने आंखों के तारों का उपचार करने के बाद उन पर हुए जुल्म के विरुद्ध आवाज उठाने की सोच रहे हैं।
यातना के पीड़ित युवकों में एक रहमत देवगांव कोतवाली क्षेत्र के लालगंज बाजार स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर स्वीपर के पद पर तैनात अहमद का पुत्र है। पीड़ित अहमद के अनुसार ढाई वर्ष पूर्व लालगंज कस्बे के रहने वाला एक व्यक्ति उसके पुत्र रहमत अली उर्फ डब्लू (20) और रिश्तेदार के पुत्र सलीम (18) पुत्र नसीब को अपने साथ काम दिलाने के नाम पर ले गया। इसके बाद दोनों का पता नहीं चला। अब जब दोनों किसी तरह से वापस लौटे तो पता चला कि उन्हें महाराष्ट्र के औरंगाबाद में स्थित एक बेकरी में काम दिलाया गया। जहां काम करने के एवज में उन्हें प्रताड़ित किया जाता था। दोनों युवकों ने विरोध कर घर वापस लौटने को कहा तो उन्हें बंधक बना लिया गया। इतना ही नहीं प्रताड़ना के नाम पर उन्हें गर्म लोहे की सलाखों से दाग दिया जाता था। दोनों को इतना भयभीत कर दिया गया कि वे चाह कर भी किसी को अपने दुख दर्द के बारे में नहीं बता पाते थे। किसी तरह से ढाई वर्ष बाद दोनों वहां से भागकर रविवार को अपने घर पहुंचे। दोनों युवकों की दशा देख उनके परिजनों के साथ अस्पताल के लोग भी दहल गए। डाक्टरों ने रहमत अली की हालत गंभीर देख उसे जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। रहमत अली को जिला अस्पताल के वार्ड नंबर अस्पताल मेें भर्ती है। जबकि सलीम का सीएचसी में उपचार चल रहा है।
प्रताड़ना से बन गए है शरीर पर कई स्थानों पर छाले
ढाई वर्ष पूर्व लालगंज कस्बे के रहने वाला एक व्यक्ति दोनों युवकों को झांसे में लेकर गया
महाराष्ट्र के औरंगाबाद में स्थित एक बेकरी में काम के दौरान दी गई युवकों को प्रताड़ना
विरोध करने पर गर्म लोहे की राड से दोनों को कई बार दागा गया
अब भी दहशत में
•सदर अस्पताल में चल रहा इलाज
•युवकों की हालत देख रोष पनपा
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