सेवा में, दिनांक : 7/12/2012
श्रीमान अध्यक्ष महोदय,
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग,
नई दिल्ली |
विषय : वाराणसी जिले के मण्डलीय अस्पताल के शवगृह में प्रसासनिक लापरवाही के कारण बंदी का शव नेवलो व छुछुन्दरो द्वारा क्षत-विक्षत किये जाने के सम्बन्ध में |
महोदय,
आपका ध्यान दैनिक समाचार पत्र "दैनिक जागरण" 7 दिसम्बर, 2012 के इस खबर "बंदी का शव नोंच ले गए नेवले व छछूंदर" की और कराना चाहता हूँ ज्ञात हो की वाराणसी जिले के मंडलीय अस्पताल की मर्चरी को नेवले और छछूंदरों ने किचेन बना लिया सिद्धदोष बंदी के शव को रात भर में क्षत-विक्षत कर दिया | यह बात तब पता चली जब शव को पंचनामे के लिए निकाला गया | इसे देखकर परिजन और अफसरों के पैरों तले से जमीन खिसक गई |
केंद्रीय कारागार में बंद अब्दुल जब्बार की हालत बिगड़ने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान 14 नवंबर को उसकी मौत हो गई। अगली सुबह मर्चरी से शव निकाले जाने पर शव की हालत देखकर परिजन भड़क उठे क्योकि शव बिलकुल क्षत विक्षत था और उसे पहचानना बहुत मुश्किल था । जांच में पता चला कि शव पर चूहे- नेवले व छछूंदरों के तेज दांतों से निशान हैं। शव क्षत विक्षत होने से पंचनामा व पोस्टमार्टम के दौरान कारणों पर आशंकाएं उत्पन्न होने की संभावना जताई। शवगृह का बुरा हाल मर्चरी में लगी खिड़कियों के शीशे और जालियां टूटी हैं। इनसे होकर बगल के कूड़ाघर से चूहे-नेवले और छछूंदर इसमें आते जाते रहते हैं। यहां लगे दोनों फ्रीजर के दरवाजे खराब होने से उसमें घुसकर शव को क्षतिग्रस्त कर देते हैं। यही नहीं फ्रीजर में करेंट उतरने से उसका कनेक्शन भी काट दिया गया है। मर्चरी में लावारिश शव या फिर दुर्घटना के बाद मेडिकोलीगल केस से जुड़े शव रखे जाते हैं। इनकी पहचान या परिजनों के आने अथवा पोस्टमार्टम के लिए भेजे जाने की औपचारिकता पूरी करने में लंबा समय लगता है। गर्मी के दिनों में इससे शव खराब भी हो जाते हैं |
लेकिन आज तक प्रसासनिक अधिकारियों ने इस पर कोइ ध्यान नहीं दिया यह पहला केस नहीं है इससे पहले भी इस तरह के मामले प्रकाश में आ चुका है | परन्तु कोइ भी विभागीय कार्यवाही किसी भी अधिकारी द्वारा नहीं किया गया |
अतः इस मानवाधिकार उल्लंघन के मामले को संज्ञान में लेते हुए दोषियों के खिलाफ कठोर से कठोर कार्यवाही का आदेश दें साथ ही अभी तक इस तरह की पहले हुयी घटनाओं की जांच कराते हुए उनके परिजनों को मुआवजा दिलाने की कृपा करे |
संलग्नक : अखबार की छाया प्रति
भवदीय
डा० लेनिन
महासचिव मानवाधिकार जननिगरानी समिती
सा 4/2 ए दौलतपुर, वाराणसी
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