PVCHR initiative supported by EU

Reducing police torture against Muslim at Grass root level by engaging and strengthening Human Rights institutions in India

Thursday, August 9, 2012

इलाहाबाद जिले सामाजिक कार्यकर्ता परवेज रिज़्वी के उपर लगे फर्जी मुकद्दमा हटाने और मामले की उच्च स्तरीय जांच सी.बी.सी.आई.डी. से कराने के सम्बन्ध मे।

सेवा मे,
माननीय मुख्यमंत्री महोदय,
उत्तर प्रदेश शासन,
लखनऊ। 
विषय : इलाहाबाद जिले सामाजिक कार्यकर्ता परवेज रिज़्वी के उपर लगे फर्जी मुकद्दमा हटाने और मामले की उच्च स्तरीय जांच सी.बी.सी.आई.डी. से कराने के सम्बन्ध मे।
महोदय,
आप का ध्यान दिनांक 15/8/2010 को ग्राम लहना, थाना करारी, जिला कौशाम्बी मे हुये वी.ओ.पी के कार्यकर्ता हरिलाल को गोली मारकर हत्या कर दिया गया क्योकि वे मनरेगा मे चल रही धान्धली को उजागर कर रहे थे और मजदूरो के अधिकरो की पैरवी कर रहे थे। जिससे उसमे लिप्त लोगो ने उन्हे गोली मार दी।  हत्या के प्रतिशोध मे हरिलाल समर्थक भीड ने दोषियो के घरो पर आग लगा दी। भीड को नियंत्रित करने के लिये काफी मात्रा मे पुलिस बल वहा पर आई लेकिन भीड बिल्कुल काबू से बाहर हो गयी। पुलिस के हाथ-पाव फूलने लगे। मौका सम्भालने मे पुलिस बिल्कुल असमर्थ हो गयी। जिसे देखते हुये पुलिस ने भीड को नियंत्रित करने के लिये हरिलाल के साथी और सामजिक कार्यकर्ता परवेज़ रिज़्वी को बुलाया। परवेज़ रिज़्वी ने पुलिस का सहयोग करते हुये जनता को नियंत्रित करने मे बडी भूमिका निभाई। लेकिन पुलिस ने बाद मे अपना पैतरा बदलते हुये परवेज़ रिज़्वी के खिलाफ भीड को भडकाने और आगजनी कराने के फर्जी मुकद्दमे मे फसा दिया। चूंकी परवेज़ रिज़्वी एक सामाजिक कार्यकर्ता है और वे भी इस तरह के सामाजिक मुद्दो को हमेशा उठाते रहते है जिससे पुलिस, प्रशासन और दबंग लोग परेशान रहते थे इसी कारण पुलिस ने उनको फर्जी तरीके से उस जगह बुलाकर उनहे फसा दिया। जबकि एस.एच.ओ एस.एच. पांडेय ने अपने बयान मे कहा कि परवेज़ रिज़्वी ने भीड को शांत कराने की कोशिश की परंतु भीड शांत नही हुयी। साथ ही एक ही घटना मे सब कुछ एक समय, घटनास्थल, दिनांक, घटना एक ही होने के बाद भी दो एफ.आई.आर. की गयी जिसमे परवेज़ रिज़्वी को जानबूझ कर अभियुक्त बनाया गया है।
साथ ही पुलिस ने उस घटना की जो फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी करायी थी उसको भी सही ढंग से नही पेस किया गया है और बार बार उस वीडियो सी.डी को सामने लाने की बात कही गयी पर पुलिस पेश नही कर रही है। जिससे यह सन्देह होता है कि पुलिस जान बूझ कर परवेज़ रिज़्वी को इस केस मे फसा रही है। पुलिस ने दोनो केस मे एक ही आरोप पत्र दखिल किया है और कस विचाराधीन है। उपरोक्त बातो से यह स्पष्ट होता है कि परवेज़ रिज़्वी के उपर लगाये गये आरोप गलत है और गम्भीरता से विचार योग्य है।   
कृपया माननीय राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के इस रिपोर्ट पर ध्यान दे :-
·         इस मामले की जाँच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली द्वारा गठित कमेटी ने भी किया जिनके रिपोर्ट के अनुसार लेहाना ग्राम पंचायत मे मनरेगा के काम धाँधली पायी गयी। हरी लाल और अन्य कार्यकर्ता की अगुआई मे जनता ने ग्राम प्रधान के इस गलत काम का विरोध किया गया। हरी लाल ने कई बार पुलिस से अपनी सुरक्षा की माँग की लेकिन पुलिस ने कोई कार्यवाही नही की और हरी लाल की सुरक्षा करने मे असमर्थ रही। जब उसने दिनांक 7/2/2010 को तिरथ लाल के खिलाफ हमले की शिकायत पुलिस से की तो पुलिस ने अभियुक्त को बचाने लगी। हरी लाल के हत्या के बाद पुलिस ने परवेज़ रिज़्वी को निशाना बनते हुये केस दर्ज किया क्योकि परवेज़ रिज़्वी उनके करीबी साथी थे जो भ्रष्टाचार के लिये हरी लाल के साथ लड रहे थे। 

अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि इस मामले को संज्ञान मे लेते हुये कृपया निम्नलिखित मांगो पर त्वरित कार्यवाही हेतु सम्बन्धित अधिकारी को निर्देशित करे ताकि इसमे फसे निर्दोष सामाजिक कार्यकर्ता को न्याय मिल सके।
मांगे :
1.       इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जाँच सी.बी/सी.आई.डी से कराने हेतु निर्देशित करने की कृपा करे।
2.       सामाजिक कार्यकर्ता परवेज़ रिज़्वी पर जान बूझ कर लगे फर्जी मुकद्दमे को तुरंत हटाया जाय।  
3.       दोषी व्यक्तियो और पुलिस वालो के खिलाफ मुकद्दमा पंजीकृत कराने हेतु निर्देषित करे।
4.       इस घटना मे जिन परिवारो को चोट लगी तथा जिन परिवारो का आगजनी मे घर जला और नुकसान हुआ उन्हे मुआवजा दिलाने हेतु निर्देषित करने की कृपा करे।
4.
संलग्नक : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के जाँच टीम की रिपोर्ट।
भवदीय
डा0 लेनिन
महासचिव
मानवाधिकार जननिगरानी समिती
सा 4/2 ए दौलतपुर्, वाराणसी








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