PVCHR initiative supported by EU

Reducing police torture against Muslim at Grass root level by engaging and strengthening Human Rights institutions in India

Monday, February 25, 2013

कोलकाता के उपनगरीय जिले दक्षिणी 24 परगना के केनिंग थाना क्षेत्र में 19 फरवरी को नलियाखली, हीरोभंगा, गोपालपुर और गोलडोगरा में करीब 200 घरों को लूटकर जला देने के सम्बन्ध में |

सेवा में,

श्रीमान अध्यक्ष महोदय,

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग,

नई दिल्ली |

 

विषय : कोलकाता के उपनगरीय जिले दक्षिणी 24 परगना के केनिंग थाना क्षेत्र में 19 फरवरी

       को नलियाखली, हीरोभंगा, गोपालपुर और गोलडोगरा में करीब 200 घरों को लूटकर  

       जला देने के सम्बन्ध में |

 

महोदय,

      आपका ध्यान इस खबर की और आकृष्ट कराना चाहता हूँ कि कोलकाता के उपनगरीय जिले दक्षिणी 24 परगना के केनिंग थाना क्षेत्र में 19 फरवरी को नलियाखली, हीरोभंगा, गोपालपुर और गोलडोगरा में करीब 200 घरों को लूटकर जला दिया गया. दक्षिणी 24 परगना के ही जोयानगर थाना क्षेत्र में एक विशेष समुदाय की दर्जन भर दुकानें लूटकर तहस-नहस कर दी गयीं. दंगाग्रस्त इलाका कोलकाता से मात्र 30 किलोमीटर है |

 

18-19 फरवरी की रात घुटियारी शरीफ के मौलवी रोहुल कुडुस और जोयानगर थाना क्षेत्र के मौजपुर गांव के अब्दुल वहाब जामतला हाट से एक धार्मिक कार्यक्रम में भाग लेकर मोटरसाइकिल से लौट रहे थे. मोटरसाइकिल चला रहे मौलवी रोहुल कुडुस पर नलियाखली रोड पर अनजान लोगों ने हमला किया, जिसमें कुडुस की मौके पर मौत हो गयी और अब्दुल वहाब गंभीर रूप से घायल हो गए |

हत्या के बाद अफवाह उड़ी की हत्या में राष्ट्रीय स्वंय सेवक के लोग शामिल हैं, जिसके बाद केनिंग थाना क्षेत्र नलियाखली इलाके में समुदाय विशेष के चार गावों में बड़ी संख्या में आगजनी की गयी. आगजनी में 200 घरों को जला दिया गया और 750 घरों पर हमले हुए. कई हिंदू परिवारों ने डर से गांव छोड़ दिये हैं. इतनी बड़ी खबर को लेकर राष्ट्रीय मीडिया की चुप्पी आश्चर्यचकित करने वाली है. 

अतः आपसे निवेदन है कि इस मामले को संज्ञान में लेते हुए इस घटना में लिप्त दोषियों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्यवाही के आदेश के साथ ही साथ मृतकों, घायलों और छतिग्रस्त परिवारों को उचित मुआवजा दिलाने के लिए आवश्यक कार्यवाही की कृपा करें |

 

संलग्नक : http://www.janjwar.com/2011-05-27-09-00-20/25-politics/3715-paschim-bengal-men-sampradayik-danga

 

भवदीय

डा0 लेनिन

महासचिव

मानवाधिकार जननिगरानी समिती

+91-9935599333

pvchr.india@gmail.com

 



फूंक डाले दो सौ घर, लूटीं दुकानें 

पश्चिम बंगाल के दक्षिणी 24 परगना जिले में हुए दंगे में 200 घरों को फूंक दिया गया और दो दर्जन दुकानें लूट ली गयीं. दंगा सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांगे्रस और सीपीएम की टकहराहट का नतीजा है, जिसमें जबरदस्त हमले हुए हैं...

जनज्वार. कोलकाता के उपनगरीय जिले दक्षिणी 24 परगना के केनिंग थाना क्षेत्र में 19 फरवरी को नलियाखली, हीरोभंगा, गोपालपुर और गोलडोगरा में करीब 200 घरों को लूटकर जला दिया गया. दक्षिणी 24 परगना के ही जोयानगर थाना क्षेत्र में एक विशेष समुदाय की दर्जन भर दुकानें लूटकर तहस-नहस कर दी गयीं. दंगाग्रस्त इलाका कोलकाता से मात्र 30 किलोमीटर है.

west-bengal-roits-24-parganaगौरतलब है कि 18-19 फरवरी की रात घुटियारी शरीफ के मौलवी रोहुल कुडुस और जोयानगर थाना क्षेत्र के मौजपुर गांव के अब्दुल वहाब जामतला हाट से एक धार्मिक कार्यक्रम में भाग लेकर मोटरसाइकिल लौट रहे थे. मोटरसाइकिल चला रहे मौलवी रोहुल कुडुस पर नलियाखली रोड पर अनजान लोगों ने हमला किया, जिसमें कुडुस की मौके पर मौत हो गयी और वहाब गंभीर रूप से घायल हुए. 

हत्या के बाद अफवाह उड़ी की हत्या में राष्ट्रीय स्वंय सेवक के लोग शामिल हैं, जिसके बाद केनिंग थाना क्षेत्र नलियाखली इलाके में समुदाया विशेष के चार गावों में बड़ी संख्या में आगजनी की गयी. आगजनी में 200 घरों को जला दिया गया और 750 घरों पर हमले हुए. कई हिंदू परिवारों ने डर से गांव छोड़ दिये हैं. इतनी बड़ी खबर को लेकर राष्ट्रीय मीडिया की चुप्पी आश्चर्यचकित करने वाली है. 

कोलकाता के पत्रकार पलाश विश्वास कहते हैं कि 'यह फसाद अफवाहों के कारण हुआ. दक्षिणी 24 परगना जिला (कोलकाता का एक उपनगर) में 99 फीसदी आबादी दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों और अल्संख्यकों की है, जिसमें अल्पसंख्यक मजबूत स्थिति में हैं. यह वारदात स्थानीय राजनीति में कब्जेदारी की है, जिसमें सीपीएम और तृणमूल ने पंचायत चुनावों के बाद अपनी दबंगई को स्थापित करने की कोशिश की है.' 

8 जनवरी को भी सीपीएम और तृणमूल समर्थकों में गोलीबारी की वारदात हुई थी. वारदात उस समय हुई जब कोलकाता में आयोजित सीपीएम की रैली के लिए हुजूम जुटाई जा रही थी. दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं ने एक-दूसरे पर आरोप लगाया था कि उनपर बम से हमले हुए हैं. 

आरोप यह भी है कि यह फसाद मार्क्सवादी कम्यूनिष्ट पार्टी (सीपीएम) के स्थानीय नेताओं के भड़काने के कारण हुआ है. मौलवी की हत्या के बाद सीपीएम के लोगों ने तनाव बनाया कि हत्या में आरएसएस के लोग शामिल हैं, जिसके बाद एक समुदाय के लोगों ने चुन-चुन कर दूसरे समुदाय के लोगों के घरों पर हमले किये. हमले में अनाज, घर के सामान और गाडि़यों तक को फूंक डाला गया है. 

पश्चिम बंगाल की आबादी में 27 प्रतिशत अल्पसंख्यक हैं. अबतक अल्पसंख्यक सीपीएम के साथ रहे हैं, लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में सीपीएम के खाते से अल्पसंख्यक वोट में भारी गिरावट आयी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी तृणमूल कांगे्रस की ओर शिफ्ट कर गये. इस कारण सीपीएम लोकसभा चुनावों से पहले हर कीमत पर अपनी ओर अल्संख्यकों को मोड़ना चाहती है. पश्चिम बंगाल की राजनीति के जानकार जयंत गांगुली का कहना है, 'प्रदेश में सीपीएम के पांच बार सत्तासीन में मुस्लिम वोट का महत्वपूर्ण रोल रहा है.' हालांकि धर्मनिरपेक्ष छवि की माकपा के उपर सांप्रदायिक खेल में सीधी भागीदारी का आरोप नया है. 

राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के पश्चिम बंगाल महासचिव (प्रांत कार्यवाहक) डॉक्टर तिलकरंजन बेरा ने कहा कि 'केनिंग थाना क्षेत्र के नडि़याखली इलाके में करीब 750 घर जलाये गये हैं. हिंदुओं के खिलाफ हुए इस अत्याचार पर मीडिया, राज्य सरकार और केंद्र सरकार का रवैया जाहिर करता है कि सभी तुष्टीकरण की राजनीति के वाहक हैं. हम मांग करते हैं कि दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करते हुए पीडि़तों को मुआवजा दिया जाये.' 

कुछ दिन पहले कोलकाता के मुस्लिम बहुल क्षेत्र में एक सबइंस्पेक्टर की हत्या चुकी है और एक सिपाही अस्पताल में गंभीर रूप से घायल पड़ा है. अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के उपाध्यक्ष कृपा प्रसाद सिंह का कहना है कि 'सत्ता में बने रहने के लिए तृणमूल और सीपीएम दोनों ही मुस्लिम अत्याचारों को शह देकर खुद को हितैषी साबित करने के कंपटिशन में लगी हैं. हमारी मांग है कि मौलवी के हत्यारों को भी सजा हो और दंगा करने वाले नेताओं और गुंडों को भी गिरफ्तार किया जाये.'

हत्या का कारण अबतक साफ नहीं हो सका है. लेकिन सूत्रों का कहना है कि मौलवी के पास साढे़ ग्यारह लाख रूपये थे और हत्या लूट के इरादे से की गयी है. इतनी रकम के बारे में कहा जा रहा है कि मौलवी ने ये पैसे हथियार खरीदने के लिए ले रखे थे. दक्षिणी संथाल परगना के सामाजिक कार्यकर्ता उद्दीपन विश्वास की राय में, 'वहां दंगा हुआ है और हजारों लोगों की जिंदगी तहस-नहस हुई है. लेकिन दंगा वर्चस्व कारणों से है, जबकि हिंदू संगठन इसे हिंदुओं पर हमला का मुद्दा बनाकर सांप्रदायिकता की राष्ट्रीय राजनीति करने पर तुले हैं.'


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