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Tuesday, April 10, 2012

हिरासत में मौत पर बीस लाख का मुआवजा

http://in.jagran.yahoo.com/news/national/crime/5_18_9124611.html 

मुंबई। बांबे हाई कोर्ट ने मंगलवार को एक अभूतपूर्व फैसले में बम धमाके के एक आरोपी की मां को 20 लाख रुपये का मुआवजा देने का राज्य सरकार को निर्देश दिया। घाटकोपर रेलवे स्टेशन के बाहर खड़ी एक खाली बस में दिसंबर, 2002 में हुए बम धमाके के आरोपी ख्वाजा यूनुस की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी।

दुबई की एक कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर यूनुस को पुलिस ने तीन जनवरी, 2003 को इस मामले में हिरासत में लिया था। तीन दिन बाद पुलिस ने दावा किया था कि औरंगाबाद ले जाते वक्त यूनुस ने हिरासत से भागने की कोशिश की और पुलिस जीप के नीचे आकर मारा गया। लेकिन, सीआइडी जांच में पुलिस की कहानी झूठी साबित हुई और यह स्पष्ट हो गया था कि यूनुस की मौत पुलिस हिरासत में हुई थी।

जस्टिस एएम खानविलकर और पीडी कोडे की पीठ ने यूनुस की मां आसिया बेगम की याचिका पर सुनवाई करते हुए निचली अदालत द्वारा तय की गई मुआवजे की राशि तीन लाख से बढ़ाकर 20 लाख कर दी। पीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह यूनुस की मां को दो महीने के भीतर मुआवजे का भुगतान करे। मुआवजे की धनराशि दोषी पुलिस अधिकारियों के वेतन से वसूली जाएगी। पीठ ने आसिया बेगम की वह याचिका खारिज कर दी जिसमें उन्होंने इस मामले में शामिल दस अन्य पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाए जाने की मांग की थी।

आसिया बेगम के वकील मिहिर देसाई ने अदालत से बाहर कहा, 'हिरासत में मौत के किसी मामले में यह अब तक का सबसे बड़ा मुआवजा है। बेटे को खोने के दस साल बाद आसिया बेगम को न्याय मिला है।' अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाए जाने की दसवीं बरसी पर हुए घाटकोपर धमाके में दो लोगों की मौत हो गई थी। 28 लोग जख्मी भी हुए थे।

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