PVCHR initiative supported by EU

Reducing police torture against Muslim at Grass root level by engaging and strengthening Human Rights institutions in India

Wednesday, April 25, 2012

शाबासी व ईनाम प्रोन्नत पाने के लिए तथा सोची समझी रणनीति के तहत 12 दिसम्बर 2007 तारिक कासमी को थाना रानी की सरांय जिला आजमगढ़ से उत्तर प्रदेश एस0टी0एफ0 ने अवैध रूप से उठाकर फर्जी मामलो मे फसाने के सम्बन्ध

                                                                                    दिनांक 19 अप्रैल 2012 
सेवा मे,  
माननीय मुख्य मंत्री महोदय  
उत्तर प्रदेश शासन,
लखनऊ.


विषय : शाबासी व ईनाम प्रोन्नत पाने के लिए तथा सोची समझी रणनीति के तहत 12 दिसम्बर 2007 तारिक कासमी को थाना रानी की सरांय जिला आजमगढ़ से उत्तर प्रदेश एस0टी0एफ0 ने अवैध रूप से उठाकर फर्जी मामलो मे फसाने के सम्बन्ध मे !
महोदय,
 
आपका ध्यान इस खबर की ओर आकृष्ट करना चाहता हूँ कि उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ और जौनपुर जनपद मे आतंकवाद के नाम पर कचहरी सीरियल बम विस्फोट कांड में उत्तर प्रदेश एस0टी0एफ0 द्वारा अपने पदीय उत्तरदायित्व को पूरा न करके गैर ज़िम्मेदाराना तरीके से एक सोची समझी रणनीति के तहत आजमगढ़ के तारिक कासमी व जौनपुर के ख़ालिद मुजाहिद को बाराबंकी रेलवे स्टेशन के सामने डिटोनेटर, आर0डी0एक्स0 के साथ गिरफ्तारी दिखाई थी।

वस्तु स्थिति यह है कि कचहरी सीरियल बम विस्फोट काण्ड में फैजाबाद जनपद में अधिवक्ता समेत कई लोग मारे गए थे, ऐसे गंभीर घटना का खुलासा करने में एस0टी0एफ0 असमर्थ रही तो उसने अपना पीछा छुड़ाने के लिए शाबासी व ईनाम प्रोन्नत पाने के लिए तथा सोची समझी रणनीति के तहत 12 दिसम्बर 2007 तारिक कासमी को थाना रानी की सरांय जिला आजमगढ़ से उत्तर प्रदेश एस0टी0एफ0 द्वारा उठा लिया गया था। जिसका मुख्य सबूत यह है कि वहां आने वाले सभी अखबारों ने इस घटना को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। तारिक कासमी के दादा ने दिनांक 14 दिसम्बर 2007 को लिखित सूचना थाना रानी की सरांय जिला आजमगढ़ को दिया था किन्तु पहले से गिरफ्तार तारिक कासमी को बाराबंकी रेलवे स्टेशन के सामने फर्जी तरीके से आर0डी0एस0 व डिटोनेटर के साथ गिरफ्तारी दिखाई। उन्हीं के साथ खालिद मुजाहिद थाना मडि़याहूं जिला जौनपुर से दिनांक 16 दिसम्बर 2007 को उ0प्र0 एस0टी0एफ0 द्वारा उठा लिया गया था, जिसकी पुष्टि सूचना अधिकार अधिनियम के तहत जन सूचना अधिकारी क्षेत्राधिकारी मडि़याहूॅ ने लिखित रूप में की है। बरामदगी आर0डी0एक्स0 व डिटोनेटर से सम्बंधित बात भी झूठी है क्योंकि उत्तर प्रदेश एस0टी0एफ0 का कहना है कि आर0डी0एक्स व डिटोनेटर बरामदगी के साथ दोनों नौजवानों के मोबाइल दिनांक 22.12.2007 को सुबह 9.00 बजे तक स्वीच आॅफ कर सर्वमोहर कर दिया गया था, किन्तु ए0टी0एस0 के विवेचना अधिकारी ने जो काल डिटेल दाखिल की है उसमें खालिद मुजाहिद के पास बरामद मोबाइल पर दिनांक 22.12.2007 को 11.49 बजे दिन में एस0एम0एस0 आया है जिससे साबित होता है कि रेलवे स्टेशन के सामने कोई भी बरामदगी नहीं हुई और न ही कोई चीज सर्वमोहर की गई।
तारिक कासमी व खालिद मुजाहिद के पास बरामद मोबाइल व कपड़ों को एस0टी0एफ0 द्वारा नए मारकीन के कपड़े खरीद कर सर्वमोहर करना बताया गया था, जबकि न्यायालय के समक्ष जब दोनों सर्वमोहर पैकेट सी0ओ0 चिरंजीव नाथ सिन्हा के साक्ष्य के समय खोला गया तो पुरानी सफेद चादर के दो भाग करके माल सर्वमोहर होना पाया गया जिससे यह साबित होता है कि रेलवे स्टेशन के सामने कोई बरामदगी व लिखा पढ़ी नहीं हुई थी।
लखनऊ में एस0टी0एफ0 द्वारा फर्द बरामदगी में साइकिल बरामद करना बताया गया है लेकिन फर्द बरामदगी में साइकिल का फ्रेम नम्बर और विवेचना में साइकिल की रसीद में दिए गए फ्रेम नम्बर अलग-अलग है।
आतंकवाद संबंधित प्रदेश में विभिन्न थानों में दर्ज की गई तहरीरों की भाषा एक है और उनको एक साथ रखने पर यह साबित होता है कि सभी प्रथम सूचना रिपोर्ट की तहरीर एक ही व्यक्ति ने लिखी है। रही बात आर0डी0एक्स0, डिटोनेटर बरामदगी की बात वह पूरी तरीके से फ़र्ज़ी इस तरह से साबित होती है कि उसे कहीं भी पेश नहीं की गई है केवल कागज में ही बरामदगी है व कागज में ही डिस्पोजल किया गया है।
दोनों निर्दोष नवजवानों को एस0टी0एफ0 ने उनके इकबालिया बयान के आधार पर ही कार्यवाही की है वह इकबालिया बयान भी एस0टी0एफ0 ने अपने मन से लिखा था। यदि दोनों नौजवानों ने कोई इकबालिया बयान दिया होता तो नवजवानों का कलमबंद बयान मजिस्टेªट के सामने कराया गया होता। इस सम्बन्ध में कोई प्रार्थना पत्र भी किसी न्यायालय में एस0टी0एफ0 ने नहीं दिया है।
महत्वपूर्ण बात यह भी है कि तत्कालीन पुलिस प्रमुख विक्रम सिंह तथा बृजलाल ने योजनाबद्ध तरीके से मुस्लिम नौजवानों को आतंकी घटनाओं में निरूद्ध किया था। जनता के दबाव पर सरकार ने आर0डी0 निमेष कमीशन भी बनाया जिसकी भी रिपोर्ट अभी तक तैयार नहीं हुई। इन फ़र्ज़ी मुकदमों को अविलम्ब वापस लेने की आवश्यकता है। जिससे जनता में विधि के शासन के प्रति विश्वास पैदा हो सके पुलिस में मौजूद उन तत्वों की छानबीन करने की आवश्यकता है जो फ़र्ज़ी मुकदमों में लोगों को निरूद्ध करते हैं।
कचहरी सीरियल बम विस्फोट कांड में एस0टी0एफ0 ने फर्जी लोगों की गिरफ्तारी करके केस को न खोला होता और ईमानदारी से छानबीन की होती तो वास्तविक मुल्जिम पकड़े जाते और आतंक फैलाने वाली घटनाओं पर अंकुश लगता। 
 अतः आपसे यह निवेदन है कि आतंकवाद के नाम पर सोची समझी रणनीति के तहत गिरफ्तार सभी मुल्जिमानों को अविलम्ब रिहा करें तथा निरूद्ध व्यक्तियों को उचित मुआवजा दें तथा दोषी अधिकारियों को दण्डित भी करें व कचहरी सीरियल बम विस्फोट कांड में पुनः जांच कर दोषियों/अपराधियों को गिरफ्तार किया जाए।

 

 
भवदीय
डा0 लेनिन
महासचिव






 
 
 
 
 
 


उत्तर प्रदेश के मेरठ के जिला कारागार में हुए संघर्ष में कैदी मेहरदीन के मौत के सम्बन्ध मे !

                                                     20 अप्रैल 2012
सेवा मे,  
माननीय मुख्य मंत्री महोदय,
उत्तर प्रदेश शासन,
लखनऊ.
 
विषय : जिला कारागार में हुए संघर्ष में कैदी मेहरदीन के मौत के सम्बन्ध मे !
महोदय,
 
आपका ध्यान उत्तर प्रदेश के मेरठ के जिला कारागार में हुए संघर्ष में घायल एक कैदी के खबर की ओर आकृष्ट करना चाहता हूँ कि मेरठ के जिला कारागार में हुए संघर्ष में घायल एक कैदी की बृहस्पतिवार देर रात अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई। पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि मृतक कैदी का नाम मेहरदीन है। मेरठ जिले के इंचौली क्षेत्र का निवासी मेहरदीन लूट और गैंगस्टर के मामले में जेल में बंद था।

प्रवक्ता के अनुसार बुधवार को कैदियों और जेल कर्मियों के बीच हुए संघर्ष में घायल होने वालों में मेहरदीन भी शामिल था। गंभीर रूप से घायल मेहरदीन को पहले मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां से उसे निजी अस्पताल में ले जाया गया जहां आज उसने दम तोड़ दिया।

उधर, शासन के निर्देश पर एडीजी जेल एमएल प्रकाश ने मेरठ पहुंच कर जेल अफसरों से घटना के बारे में जानकारी ली। दूसरी तरफ, जेल की घटना के बाद कल कचहरी में पेशी पर लाए गए कैदियों ने खूब हंगामा किया। मीडिया के लोगों को अपने और अपने साथियों के घाव दिखाते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस द्वारा उनकी जबरदस्त पिटाई की गई है।

गौरतलब है कि बुधवार सुबह जिला कारागार में जेल कर्मचारियों और कैदियों के बीच संघर्ष हो गया था। इस संघर्ष में जेलर और डिप्टी जेल ओर कई बंदी रक्षकों के साथ ही दो दर्जन से अधिक कैदी घायल हो गए थे। 
 

अतः आपसे यह निवेदन है कि  इस मामले को संज्ञान मे लेते हुये इस मामले की न्यायिक जांच कराते हुये घायल कैदियो व मृत कैदी मेहरदीन के परिवार वालो को मुआवजा दिया जाय और घटना मे शामिल दोषियो को सजा दी जाय.

 

 
भवदीय
डा0 लेनिन
महासचिव






 
 
 
 
 
 




Tuesday, April 24, 2012

धर्म परिवर्तन करने का दंश........a struggele of a hindu girl who convert her religion

Dear Sir,

Greetings from PVCHR
I am sending you a sucesses story of a hindu girl who converted her religios as a muslim and married with a muslim boy. 
धर्म परिवर्तन करने का दंश........

महजबीन उर्फ मेघा नागर उम्र 18 वर्ष] पिता क नाम अभय राम नागर] सुदामापुर] बज़रडीहा वराणासी की रहने वाली है. उसके पिता स्टेट बैंक आफ इण्डीया मे असिस्टेंट मैनेजर है. जब वह लगभग पांच-छः वर्ष की ही थी तब उसकी मा की मृत्यु हो गयी घर मे कोई भाई बहन नही था , (वह अप्ने माता-पिता की इकलौती संतान है) तब से आज तक की उसकी जिन्दगी अकेलेपन और दुःखो के बीच ही ही रही. घर मुस्लिमो के इलाके मे था और उसके पिता घोर मुस्लिम विरोधी थे इस्लिये पास पडोस से  बातचीत और किसी तरह के सम्बन्धो की कोइ गुंजाईश नही थी और बहुत बन्धन मे रहना पडता था. जैसे–जैसे वह बडी होती गयी पिता का व्यवहार उस्के प्रति और भी कठोर होत गया. उसके पित बहुत ही गुस्से वाले आदमी थे. छोटी-छोटी बातो को लेकर गाली गलौज, मार-पीट शुरू कर देते. उनकी उससे बात्चीत बहुत ही कम होती थी. उनके इस व्यवहार से उसके मन मे भी धीरे-धीरे उनके लिये एक कठोरता आती गयी और उसने तय कर लिया कि वह अपनी जिन्दगी इनकी मर्जी से नही जियेगी. 2010 मे उसने इंटर पास किया, इसी बीच अपने मुस्लिम दोस्तो से मुस्लिम धर्म के बारे मे जानने को मिला. फैजुर्रहमान उर्फ राजू पुत्र लियाकत गनी अंसारी जिसका घर उसके घर के सामने ही है उसके परिवार के साथ उसकी अच्छी बनने लगी थी, हालकी उसके पिता को ये बिल्कुल पसन्द नही था, लेकिन उसने उनकी गाली गलौज व मार पीट को नजरअन्दाज करना शुरू कर दिया था. वह अपने पिता के साथ बिल्कुल भी नही रहना चाहती थी. उनका व्यवहार उसके प्रति लगातार कठोर और असहनीय होता जा रहा था, कभी-कभी मारने पीटने के बाद कई कई दिनो तक उसे भूखा रखा जाता था. उसके ताउजो उसके साथ ही घर मे रहते है, हमेशा उसके पिता को उसके खिलाफ भडकाते रहते, तब उसने तय कर लिया कि अब और अधिक सहन नही कर सकती. 7 मई 2011 को काजी-ए-शहर मुफ्ती गुलाम यसीन से फैजुर्रहमान (राजू) की सहायता से उसने इस्लाम धर्म कबूल कर लिया. यह बिना दबाव के लिया गया उसका निजी फैसला था.

यह घटना काफी समय तक उसने अपने पिता एवम परिवार से छुपाये रखी, काफी हिम्मत कर उसने यह बात एक दिन अपने पिता के सामने तब रखी जब उसने 7 अगस्त 2011 को अखबार मे छपने के लिये इश्तिहार दे दिया. उसके बाद उसके पिता व ताउ व पुरे परिवार वालो ने उसे बहुत मारा-पीटा. कई दिन तक उसे भूखा रखा. उसके पित ने खुदा को व उसके फैसले को बहुत गाली दी अब वह उनके साथ रहने के लिये बिल्कुल भी तैयार नही थी. वह पुलिस चौकी बज़रडीहा अपनी शिकायत दर्ज कराने गयी तो थाना इंचार्ज ने उसे समझाया कि इतनी रात को कहा जाओगी, सुबह चली जाना अभी घर जाओ. अगले दिन उसके पिता पुलिस चौकी गये और उनके कहने पर थानेदार ने मुझे फोन कर कहा कि अब तुम्हारे पिता तुम्हे परेशान नही करेंगे. हमने उन्हे समझा दिया है. अब तुम शिकायत लिखवाकर क्या करोगी?

घर आने के बाद उसके पिता का व्यवहार काफी बदला हुआ था, गाली गलौज व मार-पीट का रवैया बदलकर उन्होने उसे इमोशनल ब्लैकमेल लरना शुरू कर दिया. उसने जब उनकी बात नही मानी तब उस समय जब वह वकील से मिलने गयी थी (धर्म परिवर्तन को कनूनी रूप से जायज ठहराने की कार्यवाही हेतु) उसके पिता ने फैजुर्रहमान (राजू) और उसके पिता लियाकत गनी अंसारी पर उसको गायब करने क इल्जाम लगा दिया. जब वह वापस आयी तो मुहल्ले वालो ने उसे बताया कि उसके पिता ने इन लोगो के खिलाफ पुलिस कम्प्लेन लिखवा दी है. उसने यह बताने के लिये कि उसे कही गायब नही किया गया है थाने गयी तो पुलिस वालो ने उसे बहुत उल्ता सीधा व भला बुरा कहा कि अगर अप्ने मन की करनी है तो जहा जी चाहे चली क्यो नही जाती बाप के घर मे क्यो बैठी हो? और तुम्हारे पिता ने ऐसा कुछ नही किया है. मुहल्ले वाले कुछ भी कहेंगे तुमने उनका ठेका के रखा है. वहा से वह वापस वकील साहब के यहा गयी उसने उन्हे बताया कि उसके मुसलमान होने का सबूत मांग रहे है. शहर-ए-मुफ्ती का प्रमाण पत्र व अखबार के इश्तिहार को नही मान रहे है. वकील साहब से सलाह मशविरा कर तय किया कि वह फैजुर्रहमान (राजू) से निकाह कर लेगी. मश्विरा करने के बाद उसने उसी दिन (21 अगस्त 2011) रात 10:30 बजे काजी-ए-शहर के यहा निकाह कर लिया

इसके बाद से अभी तक (22 अगस्त 2011) वह अपने घर नही गयी और फैजुर्रह्मान (राजू) और उसके पिता भी अप्ने घर नही जा सके है. लेकिन फैजुर्रहमान (राजू) के घर बात करने पर यह ज्ञात हुया कि पुलिस लगातार उसके घर पर दबिश दे रही है. रात-रात तक दरवाजा पीटा जाता है. वह बहुत परेशान है. क्यो उसके नीजि फैसले का तमाशा बना दिया गया है?

वह केवल यह चहती है कि इस मामले मे किसी को परेशान न किया जाय. वह बालिग है और अपनी मर्जी से निकाह का फैसला लेने के लिये स्वतंत्र है. वह जिससे चाहे निकाह कर सकती है. वह जिससे चाहे निकाह कर सकती है. उसे और उसके शौहर तथा उनके परिवार वालो को और परेशान न किया जाय.

यह मामला मानवाधिकार जन निगरानी समिती के माध्यम से कोर्ट मे गया जहा से उसे नारी संरक्षण केन्द्र भेज दिया गया. पुनः कोर्ट मे अगली सुनवायी पर कोर्ट ने उसके बालिग होने के कारण यह आदेश दिया कि वह अपनी मर्जी से जहा और जिसके साथ रहना चाहे जा सकती है. परंतु हिन्दुवादी ताकतो से मिलकर उसके पिता ने उसे नारी सनरक्षण केन्द्र से अपहरण करवा दिया और कोर्ट के फैसले को दर किनार करते हुये उसे जबर्दस्ती अपने साथ ले गये. पुनः हाई कोर्ट के हस्तक्षेप से उसे उसके पिता के चंगुल से आजाद कराकर उसके मर्जी से उसके पति के सुपुर्द कर दिया गया जो अपने पति के साथ आज खुशी से रह रही है.    




Anup Srivastava
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Sunday, April 22, 2012

AIMC Historic National Convention on “Protection of Muslim Youth”

http://www.aimcnd.org/convention.htm 

AIMC Historic National Convention 
on 
"Protection of Muslim Youth"
at New Delhi and Passed 11-Point Resolution at the end of convention



L-R: Mirza Zaki Beg, Dr Mohd Manzoor Alam,Ml Ahmad Ali Qasmi, Dr Syed Kalbe Sadique, Dr. Yaseen Ali Usmani, Justice Rajender Sachar, Ml Abdullah Mughisi, Ml Abdul Wahab Khilji

All India Milli Council (AIMC) organized a national convention at Mavalankar Hall, New Delhi on March 31, 2012. The day-long programme was conducted by AIMC General Secretary Dr Mohammed Manzoor Alam and assisted by Mr Mushtaque Ahmad Advocate, on Record, Supreme Court, And Mirza Zaki Ahmad Beg Member Delhi AIMC. On the occasion, an especially prepared 492-page English book "Scapegoats: Questions Over Anti-Terror Operations in India" and booklets in English, Hindi and Urdu "Doubtful Crimes: Terrorism and Communal Hatred---A Tale Told by Numbers" were also released.


L-R: Mr Musharraf Husain,Mr Mohd Adeeb(M.P),Dr Yaseen Ali Usmani,Justice Rajender Sachar,Ml Abdullah Mughisi,Mr Salar M.khan Adv, Ml A W Khilji, Dr Mohd Manzoor Alam,Mr Muneer Ahmad Khan,Dr Qasim Rasool Ilyas,Mr Alouddin Ansari Adv

In coordination with around 40 organisations, including All India Muslim Majlis-e-Mashawarat, Coordination Committee for Indian Muslims, Jamaat-e-Islami Hind, Jamiat-ul-Ulema Hind (Mahmood Madni), Jamiat-ul-Ulema Hind (Arshad Madni), Markazi Jamiat-ul-Ulema, Imarat-e-Shariah Bihar and Orissa and Jharkhand, Markazi Jamiat Ahle Hadees Hind, Tauhidul Muslimeen, Indian Islahi Movement, Popular Front of India, Pasmanda Samaj Sangathan and its associate organizations representing various Muslim biradaris, the convention was participated by delegates from all over the country. It was inaugurated by Justice Rajinder Sachar and addressed by several prominent leaders of the community and civil rights activists, including AIMC President Hakeem Maulana Mohammad Abdullah Mughaisi, former AIMMM President Syed Shahabuddin, Jamaat-e-Islami Hind secretary Ejaz Ahmad Aslam, Sikh leader Gurdip Singh, Christian leader Father Dominic Emmanuel, Christian leader and media celebrity John Dayal, human rights lawyer N D Pancholi, activist Tapan Kumar Bose, Shia leader Dr Kalbe Sadiq, Markazi Jamiat Ahle Hadees Hind General Secretary Maulana Asghar Imam Mehdi Salafi, Ml Ahmad Ali Qasmi, AIMC Assistant General Secretary Maulana Abdul Wahab Khilji, Pasmanda Samaj Sangathan secretary Dr Muzaffar Hussain Ghazali, scholar and activist Ravi Nair, social activist Dr Lenin Raghuvanshi, Welfare Party of India Secretary General Dr SQR Ilyas, Civil Liberties Monitoring Committee leader Lateef Mohammad Khan, PFI Secretary General E M Rahman, J Ainayatullah, H R Chaudhary, Mr Salar Mohd Khan Adv,Dalit leader Nand Lal, among others.

Besides, the eminent participants included Rajya Sabha Member Mohammed Adeeb and Jamiat Ulema Hind secretaries Maulana Niaz Ahmed Faruqui and Maulana Abdul Hameed Nomani. On the occasion, a number of terror suspect victims as well as their relatives narrated their sordid tales.

The AIMC leaders and representatives from different parts of the country included Vice president Maulana Yaseen Ali Usmani, Tresurar Dr Syed Abdul Bari,Maul Aass Mohd Gulzar Qasmi,President AIMC U.P,(E.Z) Delhi AIMC President Dr Perwez Mian,Mr Musharraf Hussain,Dr Haseena Hashia,Mrs Mamdooha Majid,Mr Firoz Ahmad Ghazi Adv,Mr Firoz Siddiqui,Member AIMC,Syed Mohsin Kirmani,Mr Ahmad Mauji Khan,Mr Moazzam Ali Laddu,Mufti Afroz Alam Qasmi, Maulan Mufti Rizwan Tarapuri Convenor AIMC Gujrat,Mr Muneer Ahmad Khgeruwala,Mr M.A Aziz Dangi, Brodra Gujrat,Mr J.Inayatullah Chennai,Mr Muneer Ahmad Khan,Indore,Syed Musharraf Ali,Bhopal,Qazi Azmat Shah Bhopa,Ml Zakaullah Shibli Indore,Syed Ataurehman Jabalpur,(M.P), Maul Arshad Mukhtar Nadvi,Mumbai,Mr Rashid Azeem,Mumbai (M.S) Master Akhtar Perwez,Punjab,Peerji Hafiz Mohd Hussain Haryana,Mr Jawed iqbal Patna, Bihar, Hafiz Rasheed Ahmad Chaudhry Convenor AIMC,Assam,Mr Inamuddin Ahmad Guwahati, Mr Abdul Qaiyum Akhtar Gen Sec AIMC Rajasthan,AIMC President Rajathan Mr Mohd Hassan Ghauri,Mr Shabbir Ahmad Khilji,Jodhpur,Mr Shaukat Qureshi,Jaipur, Mr Jameel Ahmad Adv,Jaipur,(Rajasthan), Maulana Reyazul Hasan,Maulana Yaqoob Buland Shahri,Saharanpur,Maul Syed Aqeel Ahmad,Meerut, Mr Qamar Alam, Eita,(U.P),Maulana Siddique Muzahiri,Ranchi,prof Wakeel Rizvi Ranchi,Jharkhand, Mr Shamim Akhtar Jawed,Kolkata Mr. Allouddin Murshidabad (W.B),Mr Haider Mohiuddin Ghauri Convenor AIMC A.P, Mr Allouddin Ahmad Ansari Adv. Secretary AIMC,Hyderabad,(A.P),Mr Aga Sultan Bangalore, Maul Ashfaque Siddiqui, Belgam (Karnataka).


L-R: Justice Rajender Sachar, Dr Mohd Manzoor Alam, Maulana Ahmad Ali Qasmi, Ml Yaseen Ali Usmani, Ml Abdul wahab Khilji


Representatives and Audience of the Convention of AIMC, Mavalankar Hall,New Delhi

After day-long discussion and due deliberation, the convention adopted the following 11-point resolution:

  1. This national convention condemns systematic campaign aimed at demoralizing Muslim youth and others. This national convention resolves to ensure protection of Muslim youth and those belonging to other minorities and weaker sections as a whole---socially, morally, economically, legally etc as enshrined in the Constitution of India.

  2. All unjust and undemocratic laws impinging upon right to life, liberty, expression and association must be repealed forthwith. Laws on sedition must be repealed immediately.

  3. Unlawful Activities (Prevention) Act, 1967 (UAPA) is a black law. Its presence in the statute book is a blot on the country- bigger than TADA and POTA. Its draconian provisions and their abuse against Muslims, Tribals and other weaker sections of society has attained menacing proportions. UAPA must be repealed immediately.
    The Convention calls upon the government to withdraw Unlawful Activities (Prevention) Bill, 2011, immediately, as the first step. The Convention emphasizes that all anti-terror and other drastic legislations should only be emergency legislations and should not be put on the statute books permanently. They must be subjected to periodic review.

  4. The continuous ban on the Students Islamic Movement of India (SIMI) since 2001 is unjustified, illegal and unconstitutional. Similarly, the declaration of SIMI as "terrorist organization" is also without basis. The ban on SIMI must be lifted immediately and its name should be removed from the schedule of "terrorist organizations" of the UAPA. SIMI must be allowed to function within the constitutional and democratic framework of the country.

  5. Harassment, illegal detention and torture of innocent Muslim youth and those belonging to other communities in the name of fighting terrorism must be stopped. All police and intelligence officials involved in foisting false cases must be prosecuted and punished expeditiously.

  6. Intelligence agencies must have a statutory act ensuring parliamentary control and accountability including audit control by the Comptroller and Auditor General of India (CAG). Further, no intelligence agency, including proposed National Counter Terrorism Centre (NCTC), should be given powers to arrest.

  7. All pending cases involving alleged terrorist offences must be subjected to a comprehensive review by a sitting judge of the Supreme Court. The commission should also include cases of harassment, illegal detention and false implication.

  8. Prosecution of all cases under now-defunct TADA and POTA must be closed.

  9. All pending cases involving alleged terrorist offences must be expeditiously disposed of by ordering their hearing on day-to-day basis.

  10. Compensation should be awarded mandatorily to all persons acquitted of terrorist offences.

  11. A comprehensive law providing for reparation for victims and punishment for wrongful prosecutions must be enacted.
This convention decided to launch a campaign named "Movement for Justice" for taking forward the above demands and to secure justice, social, political and economic, for all.

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--The Buddha
 
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Friday, April 20, 2012

TCN interview: Dr. Lenin Raghuvanshi

उत्तर प्रदेश के मेरठ के जिला कारागार में हुए संघर्ष में कैदी मेहरदीन के मौत के सम्बन्ध मे !

                                                                                     दिनांक 20 अप्रैल 2012 
सेवा मे,  
माननीय मुख्य मंत्री महोदय,
उत्तर प्रदेश शासन,
लखनऊ.
 
विषय : जिला कारागार में हुए संघर्ष में कैदी मेहरदीन के मौत के सम्बन्ध मे !
महोदय,
 
आपका ध्यान उत्तर प्रदेश के मेरठ के जिला कारागार में हुए संघर्ष में घायल एक कैदी के खबर की ओर आकृष्ट करना चाहता हूँ कि मेरठ के जिला कारागार में हुए संघर्ष में घायल एक कैदी की बृहस्पतिवार देर रात अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई। पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि मृतक कैदी का नाम मेहरदीन है। मेरठ जिले के इंचौली क्षेत्र का निवासी मेहरदीन लूट और गैंगस्टर के मामले में जेल में बंद था।

प्रवक्ता के अनुसार बुधवार को कैदियों और जेल कर्मियों के बीच हुए संघर्ष में घायल होने वालों में मेहरदीन भी शामिल था। गंभीर रूप से घायल मेहरदीन को पहले मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां से उसे निजी अस्पताल में ले जाया गया जहां आज उसने दम तोड़ दिया।

उधर, शासन के निर्देश पर एडीजी जेल एमएल प्रकाश ने मेरठ पहुंच कर जेल अफसरों से घटना के बारे में जानकारी ली। दूसरी तरफ, जेल की घटना के बाद कल कचहरी में पेशी पर लाए गए कैदियों ने खूब हंगामा किया। मीडिया के लोगों को अपने और अपने साथियों के घाव दिखाते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस द्वारा उनकी जबरदस्त पिटाई की गई है।

गौरतलब है कि बुधवार सुबह जिला कारागार में जेल कर्मचारियों और कैदियों के बीच संघर्ष हो गया था। इस संघर्ष में जेलर और डिप्टी जेल ओर कई बंदी रक्षकों के साथ ही दो दर्जन से अधिक कैदी घायल हो गए थे। 
 

अतः आपसे यह निवेदन है कि  इस मामले को संज्ञान मे लेते हुये इस मामले की न्यायिक जांच कराते हुये घायल कैदियो व मृत कैदी मेहरदीन के परिवार वालो को मुआवजा दिया जाय और घटना मे शामिल दोषियो को सजा दी जाय.

 

 
भवदीय
डा0 लेनिन
महासचिव






 
 
 
 
 
 



उत्तर प्रदेश के मेरठ के जिला कारागार में हुए संघर्ष में कैदी मेहरदीन के मौत के सम्बन्ध मे !

                                                                                     दिनांक 20 अप्रैल 2012 
सेवा मे,  
अध्यक्ष
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
नई दिल्ली

विषय : जिला कारागार में हुए संघर्ष में कैदी मेहरदीन के मौत के सम्बन्ध मे !
महोदय,
 
आपका ध्यान उत्तर प्रदेश के मेरठ के जिला कारागार में हुए संघर्ष में घायल एक कैदी के खबर की ओर आकृष्ट करना चाहता हूँ कि मेरठ के जिला कारागार में हुए संघर्ष में घायल एक कैदी की बृहस्पतिवार देर रात अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई। पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि मृतक कैदी का नाम मेहरदीन है। मेरठ जिले के इंचौली क्षेत्र का निवासी मेहरदीन लूट और गैंगस्टर के मामले में जेल में बंद था।

प्रवक्ता के अनुसार बुधवार को कैदियों और जेल कर्मियों के बीच हुए संघर्ष में घायल होने वालों में मेहरदीन भी शामिल था। गंभीर रूप से घायल मेहरदीन को पहले मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां से उसे निजी अस्पताल में ले जाया गया जहां आज उसने दम तोड़ दिया।

उधर, शासन के निर्देश पर एडीजी जेल एमएल प्रकाश ने मेरठ पहुंच कर जेल अफसरों से घटना के बारे में जानकारी ली। दूसरी तरफ, जेल की घटना के बाद कल कचहरी में पेशी पर लाए गए कैदियों ने खूब हंगामा किया। मीडिया के लोगों को अपने और अपने साथियों के घाव दिखाते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस द्वारा उनकी जबरदस्त पिटाई की गई है।

गौरतलब है कि बुधवार सुबह जिला कारागार में जेल कर्मचारियों और कैदियों के बीच संघर्ष हो गया था। इस संघर्ष में जेलर और डिप्टी जेल ओर कई बंदी रक्षकों के साथ ही दो दर्जन से अधिक कैदी घायल हो गए थे। 
 

अतः आपसे यह निवेदन है कि  इस मामले को संज्ञान मे लेते हुये इस मामले की न्यायिक जांच कराते हुये घायल कैदियो व मृत कैदी मेहरदीन के परिवार वालो को मुआवजा दिया जाय और घटना मे शामिल दोषियो को सजा दी जाय.

 

 
भवदीय
डा0 लेनिन
महासचिव






 
 
 
 
 
 


Thursday, April 19, 2012

शाबासी व ईनाम प्रोन्नत पाने के लिए तथा सोची समझी रणनीति के तहत 12 दिसम्बर 2007 तारिक कासमी को थाना रानी की सरांय जिला आजमगढ़ से उत्तर प्रदेश एस0टी0एफ0 ने अवैध रूप से उठाकर फर्जी मामलो मे फसाने के सम्बन्ध मे !

                                                                                                     दिनांक 19 अप्रैल 2012 
सेवा मे,  
अध्यक्ष
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
नई दिल्ली

विषय : शाबासी व ईनाम प्रोन्नत पाने के लिए तथा सोची समझी रणनीति के तहत 12 दिसम्बर 2007 तारिक कासमी को थाना रानी की सरांय जिला आजमगढ़ से उत्तर प्रदेश एस0टी0एफ0 ने अवैध रूप से उठाकर फर्जी मामलो मे फसाने के सम्बन्ध मे !
महोदय,
 
आपका ध्यान इस खबर की ओर आकृष्ट करना चाहता हूँ कि उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ और जौनपुर जनपद मे आतंकवाद के नाम पर कचहरी सीरियल बम विस्फोट कांड में उत्तर प्रदेश एस0टी0एफ0 द्वारा अपने पदीय उत्तरदायित्व को पूरा न करके गैर ज़िम्मेदाराना तरीके से एक सोची समझी रणनीति के तहत आजमगढ़ के तारिक कासमी व जौनपुर के ख़ालिद मुजाहिद को बाराबंकी रेलवे स्टेशन के सामने डिटोनेटर, आर0डी0एक्स0 के साथ गिरफ्तारी दिखाई थी।

वस्तु स्थिति यह है कि कचहरी सीरियल बम विस्फोट काण्ड में फैजाबाद जनपद में अधिवक्ता समेत कई लोग मारे गए थे, ऐसे गंभीर घटना का खुलासा करने में एस0टी0एफ0 असमर्थ रही तो उसने अपना पीछा छुड़ाने के लिए शाबासी व ईनाम प्रोन्नत पाने के लिए तथा सोची समझी रणनीति के तहत 12 दिसम्बर 2007 तारिक कासमी को थाना रानी की सरांय जिला आजमगढ़ से उत्तर प्रदेश एस0टी0एफ0 द्वारा उठा लिया गया था। जिसका मुख्य सबूत यह है कि वहां आने वाले सभी अखबारों ने इस घटना को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। तारिक कासमी के दादा ने दिनांक 14 दिसम्बर 2007 को लिखित सूचना थाना रानी की सरांय जिला आजमगढ़ को दिया था किन्तु पहले से गिरफ्तार तारिक कासमी को बाराबंकी रेलवे स्टेशन के सामने फर्जी तरीके से आर0डी0एस0 व डिटोनेटर के साथ गिरफ्तारी दिखाई। उन्हीं के साथ खालिद मुजाहिद थाना मडि़याहूं जिला जौनपुर से दिनांक 16 दिसम्बर 2007 को उ0प्र0 एस0टी0एफ0 द्वारा उठा लिया गया था, जिसकी पुष्टि सूचना अधिकार अधिनियम के तहत जन सूचना अधिकारी क्षेत्राधिकारी मडि़याहूॅ ने लिखित रूप में की है। बरामदगी आर0डी0एक्स0 व डिटोनेटर से सम्बंधित बात भी झूठी है क्योंकि उत्तर प्रदेश एस0टी0एफ0 का कहना है कि आर0डी0एक्स व डिटोनेटर बरामदगी के साथ दोनों नौजवानों के मोबाइल दिनांक 22.12.2007 को सुबह 9.00 बजे तक स्वीच आॅफ कर सर्वमोहर कर दिया गया था, किन्तु ए0टी0एस0 के विवेचना अधिकारी ने जो काल डिटेल दाखिल की है उसमें खालिद मुजाहिद के पास बरामद मोबाइल पर दिनांक 22.12.2007 को 11.49 बजे दिन में एस0एम0एस0 आया है जिससे साबित होता है कि रेलवे स्टेशन के सामने कोई भी बरामदगी नहीं हुई और न ही कोई चीज सर्वमोहर की गई।
तारिक कासमी व खालिद मुजाहिद के पास बरामद मोबाइल व कपड़ों को एस0टी0एफ0 द्वारा नए मारकीन के कपड़े खरीद कर सर्वमोहर करना बताया गया था, जबकि न्यायालय के समक्ष जब दोनों सर्वमोहर पैकेट सी0ओ0 चिरंजीव नाथ सिन्हा के साक्ष्य के समय खोला गया तो पुरानी सफेद चादर के दो भाग करके माल सर्वमोहर होना पाया गया जिससे यह साबित होता है कि रेलवे स्टेशन के सामने कोई बरामदगी व लिखा पढ़ी नहीं हुई थी।
लखनऊ में एस0टी0एफ0 द्वारा फर्द बरामदगी में साइकिल बरामद करना बताया गया है लेकिन फर्द बरामदगी में साइकिल का फ्रेम नम्बर और विवेचना में साइकिल की रसीद में दिए गए फ्रेम नम्बर अलग-अलग है।
आतंकवाद संबंधित प्रदेश में विभिन्न थानों में दर्ज की गई तहरीरों की भाषा एक है और उनको एक साथ रखने पर यह साबित होता है कि सभी प्रथम सूचना रिपोर्ट की तहरीर एक ही व्यक्ति ने लिखी है। रही बात आर0डी0एक्स0, डिटोनेटर बरामदगी की बात वह पूरी तरीके से फ़र्ज़ी इस तरह से साबित होती है कि उसे कहीं भी पेश नहीं की गई है केवल कागज में ही बरामदगी है व कागज में ही डिस्पोजल किया गया है।
दोनों निर्दोष नवजवानों को एस0टी0एफ0 ने उनके इकबालिया बयान के आधार पर ही कार्यवाही की है वह इकबालिया बयान भी एस0टी0एफ0 ने अपने मन से लिखा था। यदि दोनों नौजवानों ने कोई इकबालिया बयान दिया होता तो नवजवानों का कलमबंद बयान मजिस्टेªट के सामने कराया गया होता। इस सम्बन्ध में कोई प्रार्थना पत्र भी किसी न्यायालय में एस0टी0एफ0 ने नहीं दिया है।
महत्वपूर्ण बात यह भी है कि तत्कालीन पुलिस प्रमुख विक्रम सिंह तथा बृजलाल ने योजनाबद्ध तरीके से मुस्लिम नौजवानों को आतंकी घटनाओं में निरूद्ध किया था। जनता के दबाव पर सरकार ने आर0डी0 निमेष कमीशन भी बनाया जिसकी भी रिपोर्ट अभी तक तैयार नहीं हुई। इन फ़र्ज़ी मुकदमों को अविलम्ब वापस लेने की आवश्यकता है। जिससे जनता में विधि के शासन के प्रति विश्वास पैदा हो सके पुलिस में मौजूद उन तत्वों की छानबीन करने की आवश्यकता है जो फ़र्ज़ी मुकदमों में लोगों को निरूद्ध करते हैं।
कचहरी सीरियल बम विस्फोट कांड में एस0टी0एफ0 ने फर्जी लोगों की गिरफ्तारी करके केस को न खोला होता और ईमानदारी से छानबीन की होती तो वास्तविक मुल्जिम पकड़े जाते और आतंक फैलाने वाली घटनाओं पर अंकुश लगता। 
 अतः आपसे यह निवेदन है कि आतंकवाद के नाम पर सोची समझी रणनीति के तहत गिरफ्तार सभी मुल्जिमानों को अविलम्ब रिहा करें तथा निरूद्ध व्यक्तियों को उचित मुआवजा दें तथा दोषी अधिकारियों को दण्डित भी करें व कचहरी सीरियल बम विस्फोट कांड में पुनः जांच कर दोषियों/अपराधियों को गिरफ्तार किया जाए।

 

 
भवदीय
डा0 लेनिन
महासचिव

Wednesday, April 18, 2012

Fwd: उत्तर प्रदेश के अलीगढ जनपद मे युवक की मृत्यु पुलिस हिरासत मे !



---------- Forwarded message ----------
From: Detention Watch <pvchr.adv@gmail.com>
Date: 2012/4/18
Subject: उत्तर प्रदेश के अलीगढ जनपद मे युवक की मृत्यु पुलिस हिरासत मे !
To: Anil Kumar Parashar <jrlawnhrc@hub.nic.in>, akpnhrc@yahoo.com
Cc: Lenin Raghuvanshi <pvchr.india@gmail.com>, lenin@pvchr.asia


दिनांक :- 18अप्रैल, 2012.                                                                                               
सेवा मे,
          श्रीमान अध्यक्ष महोदय,
          राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग,
          नई दिल्ली - भारत !
 
विषय :-  उत्तर प्रदेश के अलीगढ जनपद मे युवक की मृत्यु पुलिस हिरासत मे !
 
महोदय,
          हम आपका ध्यान उत्तर प्रदेश के अलीगढ  जनपद मे पुलिस हिरासत मे हुये श्यामु की मौत की तरफ दिलाना चाहते है.
 
    संलग्नक :- http://in.jagran.yahoo.com/news/national/crime/5_18_9144416.html

अलीगढ़ मे पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन गु्रप [एसओजी] की हिरासत में एक युवक की मौत हो गयी,परिजनों ने एसओजी पर युवक की पीटकर हत्या करने का आरोप लगाते हंगामा शुरू कर दिया।  देर शाम एसओजी प्रभारी समेत सात पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया गया। देर रात पूरी टीम को निलंबित कर दिया गया।

गभाना क्षेत्र के गांव पनिहावर निवासी श्यामू [29] अपने भाई रामू के साथ बहन के गांव रुस्तमपुर गया था। रविवार सुबह 11.30 बजे वहां एक बोलेरो से एसओजी के चार-पांच सिपाही पहुंचे और रामू और श्यामू को पकड़कर थाना क्वार्सी ले आए। यहां कुछ देर तक पूछताछ करने के बाद टीम ने श्यामू को तालानगरी की तरफ ले जाकर पूछताछ की।

पुलिस का कहना है कि यहां श्यामू ने अचानक एक कैप्सूल निकाकर खा लिया, जिससे उसकी हालत बिगड़ गई और मेडिकल कालेज ले जाते समय उसने दम तोड़ दिया। हिरासत मे लेने के बाद पुलिस कर्मी ने मृतक की शरीर का छानबीन जरूर किये होंगे, इस लिए पुलिस का यह बयान गलत है, अखबार मे छपी खबर है की मृत्यु होने के बाद पुलिसकर्मी लाश मेडिकल कॉलेज में छोड़कर खिसक गए। श्यामू के भांजे प्रदीप का आरोप है कि एसओजी ने उसके मामा श्यामू को इतना पीटा कि उनकी मौत हो गई। मेडिकल कालेज में उनकी लाश सिर्फ कच्छा-बनियान में मिली है। पैंट-शर्ट और जूते गायब थे।

जनता ने भी श्यामू की हिरासत के दौरान हत्या का आरोप लगाते हुए एसएसपी पीयूष मोर्डिया से दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।

देर शाम श्यामू के भाई मनवीर सिंह की तहरीर पर क्वार्सी थाने में एसओजी प्रभारी आनंद कुमार, दरोगा प्रमोद कुमार, अशोक यादव, वीरेंद्र सिंह, दुर्विजय यादव, रामनाथ व संजय सिंह के खिलाफ हत्या का मुकदमा लिखा गया है। देर रात सभी को निलंबित कर दिया गया। रामू और श्यामू पर कई मुकदमे दर्ज हैं। रामू पांच हजार रुपये का इनामी है, उसकी गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट का स्टे चल रहा है। जबकि श्यामू जमानत पर चल रहा था।

अत: श्रीमान जी से निवेदन है की मामला मे त्वरित कार्यवाही करते हुए,  सभी दोषी पुलिस कर्मियो पर धारा 302 के तहत मुकदमा पंजिकृत और मृत श्यामु के परिवार व गवाहो को सुरक्षा और पीडित परिजन को उचित मुआवजा दिलाने की कृपा करे !
 
                                                                                                                         भवदीय
 
                                                                                                                      (डा0 लेनिन)
                                                                                                                       महासचिव,
                                                                                     मानवाधिकार जन निगरानी समिति, 
                                                                                सा 4/2ए., दौलतपुर, वाराणसी - 221002   
                                                                                      मोबाईल न0 - +91-9935599333.
                                                                                      ई-मेल - lenin@pvchr.asia 
                                                                                       Please Visit :-
                                                                                        www.pvchr.asia
                                                                                         www.pvchr.net
                                                                                         www.testimonialtherapy.org
                                                                                        www.detentionwatch.blogspot.in


 
 


Tuesday, April 10, 2012

हिरासत में मौत पर बीस लाख का मुआवजा

http://in.jagran.yahoo.com/news/national/crime/5_18_9124611.html 

मुंबई। बांबे हाई कोर्ट ने मंगलवार को एक अभूतपूर्व फैसले में बम धमाके के एक आरोपी की मां को 20 लाख रुपये का मुआवजा देने का राज्य सरकार को निर्देश दिया। घाटकोपर रेलवे स्टेशन के बाहर खड़ी एक खाली बस में दिसंबर, 2002 में हुए बम धमाके के आरोपी ख्वाजा यूनुस की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी।

दुबई की एक कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर यूनुस को पुलिस ने तीन जनवरी, 2003 को इस मामले में हिरासत में लिया था। तीन दिन बाद पुलिस ने दावा किया था कि औरंगाबाद ले जाते वक्त यूनुस ने हिरासत से भागने की कोशिश की और पुलिस जीप के नीचे आकर मारा गया। लेकिन, सीआइडी जांच में पुलिस की कहानी झूठी साबित हुई और यह स्पष्ट हो गया था कि यूनुस की मौत पुलिस हिरासत में हुई थी।

जस्टिस एएम खानविलकर और पीडी कोडे की पीठ ने यूनुस की मां आसिया बेगम की याचिका पर सुनवाई करते हुए निचली अदालत द्वारा तय की गई मुआवजे की राशि तीन लाख से बढ़ाकर 20 लाख कर दी। पीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह यूनुस की मां को दो महीने के भीतर मुआवजे का भुगतान करे। मुआवजे की धनराशि दोषी पुलिस अधिकारियों के वेतन से वसूली जाएगी। पीठ ने आसिया बेगम की वह याचिका खारिज कर दी जिसमें उन्होंने इस मामले में शामिल दस अन्य पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाए जाने की मांग की थी।

आसिया बेगम के वकील मिहिर देसाई ने अदालत से बाहर कहा, 'हिरासत में मौत के किसी मामले में यह अब तक का सबसे बड़ा मुआवजा है। बेटे को खोने के दस साल बाद आसिया बेगम को न्याय मिला है।' अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाए जाने की दसवीं बरसी पर हुए घाटकोपर धमाके में दो लोगों की मौत हो गई थी। 28 लोग जख्मी भी हुए थे।

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Sunday, April 8, 2012

Peace with out Justice is culture of silence of impunity

Survivors of violence during emerge of two nations India and Pakistan need reconciliation by both Government.Dalit, tribal,Minority,People of North east and Kashmir need reconciliation by state,upper caste, communities involved in historical exclusion and violence. Because peace with out Justice is culture of silence of impunity.

Saturday, April 7, 2012

Compliance of NHRC order for compensation

The National Human Rights Commission directed to Secretary, Home to give 5 – 5 Lakhs Rs compensation to the next kin of Salim and Khalid who were killed in fake encounter in 8th May, 2006 under Inchauli jurisdiction of Meerut district. On 22nd September, 2011 Right to Information (RTI) was used for the implementation of the NHRC direction. On 7th October, 2011 DIG office informed that the amount of compensation was disbursed to the beneficiary Disbursement of compensation to the next kin of Salim and Khalid

Friday, April 6, 2012

Newspaper and Bajardiha

Coverage of program in Bzardiha

मानवाधिकार कार्यकर्ता को जान से मारने की धमकी के सम्बन्ध मे.



---------- Forwarded message ----------
From: PVCHR MINORITY <minority.pvchr@gmail.com>
Date: 2012/4/5
Subject: मानवाधिकार कार्यकर्ता को जान से मारने की धमकी के सम्बन्ध मे.
To: akpnhrc@yahoo.com, jrlawnhrc@hub.nic.in


सेवा में,

श्रीमान राष्ट्रीयमानवाधिकार आयोग,

नयी दिल्ली.

विषय : मानवाधिकार कार्यकर्ता को गाँव के दबंग युवक द्वारा पूर्व के मुकद्दमो में सुलह कर लेने के बाबत जान से मारने की धमकी देने व स्थानीय पुलिस द्वारा उक्त युवक के खिलाफ कोई कार्यवाही न करने केसन्दर्भ में.

महोदय,

विदित हो कि पीड़ित अंजारहुसैन पुत्र श्री अब्दुल रशीद सैफी, निवासी ग्राम- सैदपुरजसकोली, पोस्ट व थाना- असमोली, संम्भल, जिला- भीमनगर, एक मानवाधिकार कार्यकर्ता है और लोगो की समस्याओ व सुरक्षाअधिकार के लिए संघर्षरत रहता है.

पूर्व में दिनांक १७जनवरी २००७ को पीड़ित के पडोसी शरीफ अहमद के मकान पर मिलाद थी, सभी आस-पास के लोग मिलाद सुन रहे थे. कुछ शरारती अराजकतत्वों ने मिलाद में बाहर से गोली चला दी जिसमे पीड़ित की पुत्री राबिया, माँ नजवन उर्फ़ नजमा व बहन हाजरा सहित ९ से १० लोग गोली वछर्रे लगने से घायल हुए थे. जिसमे पीड़ित पक्ष के शाहिद हुसैन पुत्र जाहिर हुसैननिवासी- सोधन, थाना हयातनगर, जिला मुरादाबाद द्वारा थाना असमोली में मु०अ० सं०- २८/०७धारा ३०७ आई पी सी के तहत अज्ञात लोगो के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराइ गयी थी. जिसमेगाँव के दबंग प्रमोद कुमार शर्मा पुत्र झम्मन नल निवासी सैदपुर जसकोली, पोस्ट व थाना असमोली भीमनगर का नाम आया था परन्तु क्षेत्रके बाहुबली अजय सिंह उर्फ़ गुड्डू पुत्र विजय सिंह की सरपरस्ती व खास गुर्गा होनेके कारण स्थानीय पुलिस द्वारा उक्त प्रमोद पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी. जिससेरंज रखते हुए उक्त दबंग प्रमोद पीड़ित अंजार के पीछे पद गया तथा १४ अक्टूबर २०११ कोउक्त दबंग पीड़ित के घर पर सुबह चढ़ आया तथा गलियां व जान से मारने की धमकी देतेहुए पीड़ित के ऊपर फायर भी किया था.

जिसमे पीड़ित बाल-बाल बचाथा तथा शिकायत करने पर स्थानीय पुलिस ने पहले तो पीड़ित पक्ष को ही अकारण थाने परबैठाये रखा तथा काफी कोशिश के बाद स्थानीय थाने ने कार्यवाही करते हुए उक्त दबंगके घर से अवैध असलहो की बरामदगी किया था और जेल भी भेजा था. जिससे उक्त दबंग पीड़ितसे और भी रंजिश रखने लगा और पीड़ित को बराबर उक्त मामलो में सुलह कर लेने व रायफल वकारतूस के पैसो की मांग करता रहता है तथा उसी क्रम में उक्त दबंग ने पीड़ित कोअलग-अलग मोबाइलों से पीड़ित के मोबाईल पर जान से मारने की धमकी व पुरे परिवार कोबुरा अंजाम झेलने की धमकी देता है. उसी क्रम में उक्त दबंग ने २४ जनवरी २०१२ कोपीड़ित के मो०- ९९२७३२१४३९ पर मो० न० ९०१२२८८०३४ से शाम लगभग ६ बजकर ५९ मिनट परधमकी दी. पीड़ित ने उसकी सूचना अपने फोन द्वारा थाना असमोली के थानाध्यक्ष के मो०न० ९४५४४०४०२९ प् ९.३७ बजे दिया. परन्तु कोई कार्यवाही न होने पर श्रीमान डी आई जीमुरादाबाद को पीड़ित द्वारा २८ जनवरी २०१२ को जरिये रजिस्टर्ड डाक सूचना दी गई थी.परन्तु स्थानीय पुलिस द्वारा इसके बावजूद भी कोई कार्यवाही उक्त दबंग के विरुद्ध नकरने पर उसका मनोबल और बढ़ गया तथा उक्त दबंग पुनः २५ फरवरी २०१२ समय ४.५५ बजे शाममो० न० ९६३९२१७३५८ से पीड़ित के मो० न० ९९२७३२१४३९ पर जानसे मारने की धमकी देते हुएअंजाम भुगतने व झूठे मुक़दमे में फ़साने की धमकी दिया. जिसे पीड़ित ने रिकार्ड भीकिया है जिसके बाबत पीड़ित द्वारा जरिये रजिस्टर्ड शिकायती पात्र दिनांक २८ फरवरी२०१२ को श्रीमान डी आई जी मुरादाबाद को प्रेषित किया गया परन्तु कोई कार्यवाही उक्तदबंग प्रमोद के विरुद्ध नहीं की गयी. जिससे पीड़ित व पीड़ित का पूरा परिवार किसीअनहोनी घटना के घटित होने से डरा व सहमा हुआ है.

अतः श्रीमान जी से निवेदनहै की उक्त प्रकरण में अब तक उक्त दबंग प्रमोद के विरुद्ध ठोस कार्यवाही वगिरफ्तारी करते हुए उन दोषी पुलिस कर्मियों के विरुद्ध भी कार्यवाही की जाय वपूर्व घटना के गवाहों की रक्षा व पीड़ित व पीड़ित के परिवार की जान-माल की रक्षाहेतु उचित कानूनी कार्यवाही करने की कृपा करे.

संलग्नक :

१.      पीड़ित द्वारा पूर्व में प्रेषित प्रार्थना पत्र की कापी.

 

भवदीय

डॉ लेनिन

महासचिव




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Wednesday, April 4, 2012

Aligarh Candle march in Support of Neo dalit

 Aligarh PVCHR Unit of PVCHR candle march on Neo Dalit movement 

Petition of Aligarh Unit of PVCHR on Neo dalit

Monday, April 2, 2012

Stop harassment of innocent Muslim youths: Muslim leaders to Govt.

http://twocircles.net/2012apr01/stop_harassment_innocent_muslim_youths_muslim_leaders_govt.html 

Stop harassment of innocent Muslim youths: Muslim leaders to Govt.
Submitted by admin7 on 1 April 2012 - 12:54am

By Abu Zafar, TwoCircles.net,

New Delhi: Coming out bold and united perhaps first time on the issue, top Muslim leaders on Saturday asked the governments, police and intelligence agencies to stop harassment, illegal detention and torture of innocent Muslim youths in the name of fighting terrorism. They also demanded prosecution and punishment of all police and intelligence officials who have been involved in falsely implicating Muslim youths in terror cases.

The community leaders passed unanimous resolution on the aforesaid demands and other related issues at the National Convention on Muslim Youth Protection on 31st March 2012 at Mavalankar Hall, New Delhi. The convention was inaugurated by Justice Rajendar Sachar.


The convention was attended by eminent dignitaries from different walks of life, including legal experts and human rights activists and representatives from organizations and institutions of minorities. The convention was organised by All India Milli Council and supported by all major Muslim organisations including All India Muslim Majlis Mushawarat, Jamaat-e-Islami Hind, Jamiat Ulama-I-Hind, Welfare Party of India, Coordination Committee for Indian Muslims and Markazi Jamiat Ulema.

At the convention were discussed various related issues like draconian law such UAPA, ban on SIMI and compensation to the youths acquitted of terror charges.

Terming UAPA a blot bigger than TADA and POTA on the country's reputation, Dr. Mohammad Manzoor Alam, General Secretary, All India Milli Council, demanded its repeal.

Addressing the convention, former MP and diplomat Syed Shahabuddin stressed on a structure to fight against such atrocities. "We need an all-India set-up to fight against such kind of atrocities," he said and demanded compensation for victims. "We will have to demand ransom not only compensation for those youths who have been acquitted from the court of law." Defending against state atrocities is a question of humanity not for Muslim only, he added.


Maulana Kalbe Sadique, Vice President, All India Muslim Personal Law Board, said: "The government must know that Allah never forgives oppression and cruelty and doesn't like the oppressors." He appealed to Indian Muslims to get united on the name of oneness of God.

Mohammad Amir Khan, the person who was recently acquitted after 14 years in jail in various terror cases, moved the audience when he narrated his heart-rending story.

"It is good sign that the people are discussing on this topic now, but when I was arrested 14 years ago then no one was ready to listen to anything. Everyone had boycotted me and my family," he said.

Amir strongly condemned the lethargic attitude of Muslim leaders and organizations on the issue. "After my arrest my late father had visited several Muslim leaders but nobody helped us. My father has died 10 years ago and I couldn't see his face last time," he said.


Narrating his sad tale, Amir said: "I was kidnapped and the cases, more than my age in number, were fabricated against me. They made me naked, poured petrol in my private parts, gave electric shocks, removed my nails and did a lot more shameful and painful acts which I can't narrate here."

"Why our Muslim organizations didn't fulfill their duty? Why they believed police versions and media reports? If it is hard to reach me then they could have reached to my parents. This is not only my question but it is question of hundreds of people who have been falsely implicated in such cases and still living behind bars. There are people in jail who even can't afford a soap of Rs 10. Nobody is here to look after their family," Amir said.

He also lambasted Muslim groups for not coming up to offer any financial help to such victims.

"We are demanding compensation from the government. It is okay but the question is, what is our duty? Why arent'Muslim organizations constituting a cell to compensate those people who are suffering?"

He announced he is going to write a book on his life.

Dr. SQR Ilyas, General Secretary, Welfare Party of India, raised the issue of ban on SIMI (Students Islamic Movement of India) and said if the community had stood then against the ban in 2001, the situation would not have reached to such state.

"We are facing state terrorism. The government has initiated a war against its own people. This style has been started after 9/11 when the SIMI was banned by the NDA government. The ban is still continuing. When the SIMI was first time banned then Muslim organizations were silent. The practice of false implication of Muslim youths will continue until the ban on SIMI is lifted. The government must lift ban from SIMI immediately," demanded Ilyas.


E M Abdur Rahman, chairman Popular Front of India echoed Ilyas and said: "I am happy with this convention but it is too late. It should have been organized 11 years ago when the SIMI was banned. If it had happened then, we would not have had need of this convention now."

Resolution
1. This national convention condemns systematic campaign aimed at demoralizing Muslim youth and others. This national convention resolves to ensure protection of Muslim youth and those belonging to other minorities and weaker sections as a whole---socially, morally, economically, legally etc as enshrined in the Constitution of India.
2. All unjust and undemocratic laws impinging upon right to life, liberty, expression and association must be repealed forthwith. Laws on sedition must be repealed immediately.
3. Unlawful Activities (Prevention) Act, 1967 (UAPA) is a black law. Its presence in the statute book is blot on the country- bigger than TADA and POTA. Its draconian provisions and their abuse against Muslims, Tribals and other weaker sections of society has attained menacing proportions. UAPA must be repealed immediately.
The Convention calls upon the government to withdraw Unlawful Activities (Prevention) Bill, 2011, immediately, as the first step.
The Convention emphasizes that all anti-terror and other drastic legislations should only be emergency legislations and should not be put on the statute books permanently. They must be subjected to periodic review.
4. The continuous ban on the Students Islamic Movement of India (SIMI) since 2001 is unjustified, illegal and unconstitutional. Similarly, the declaration of SIMI as "terrorist organization" is also without basis. The ban on SIMI must be lifted immediately and its name should be removed from the schedule of "terrorist organisations" of the UAPA. SIMI must be allowed to function within the constitutional and democratic framework of the country.
5. Harassment, illegal detention and torture of innocent Muslim youth and those belonging to other communities in the name of fighting terrorism must be stopped. All police and intelligence officials involved in foisting false cases must be prosecuted and punished expeditiously.
6. Intelligence agencies must have a statutory act ensuring parliamentary control and accountability including audit control by the Comptroller and Auditor General of India (CAG). Further, no intelligence agency, including proposed National Counter Terrorism Centre (NCTC), should be given powers to arrest.
7. All pending cases involving alleged terrorist offences must be subjected to a comprehensive review by a sitting judge of the Supreme Court. The commission should also include cases of harassment, illegal detention and false implication.
8. Prosecution of all cases under now-defunct TADA and POTA must be closed.
9. All pending cases involving alleged terrorist offences must be expeditiously disposed of by ordering their hearing on day-to-day basis.
10. Compensation should be awarded mandatorily to all persons acquitted of terrorist offences.
11. A comprehensive law providing for reparation for victims and punishment for wrongful prosecutions must be enacted.
This convention decides to launch a campaign named "Movement for Justice" for taking forward the above demands and to secure justice, social, political and economic, for all.

(Photos by Abu Zafar for TCN)


Note from PVCHR:  PVCHR supported and participated the convention.Dr. Lenin ,PVCHR called as guest and speaker.Shirin Shabana Khan participated also. 

Sunday, April 1, 2012

हालात-ए-बजरडीहा, आवाज-ए-बजरडीहा


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मानवाधिकार जननिगरानी समिति एवं यूरोपियन यूनियन के संयुक्त प्रयास से भारत में मुस्लिमों पर बढ़ते पुलिसियां उत्पीड़न को कम करने व जमीनी स्तर पर मानवाधिकार संगठनों में मजबूतीकरण के लिए यूरोपियन यूनियन (नई दिल्ली) की दो महिला प्रतिनिधि एवं राजनैतिक सामाजिक स्तर के वरिष्ठ प्रगतिशील बुद्धजीवियों के साथ मुस्लिमों की वर्तमान सामाजिक आर्थिक स्थिति, पुलिसिया अत्याचार और समाज में व्याप्त साम्प्रादायिकता में कम करने के विकल्पों के मुद्दे पर साझा बैठक मदरसा, उस्मानियां बजरडीहा बनारस में हुआ।

कार्यक्रम में आये हुये प्रतिनिधियों का स्वागत मानवाधिकार जननिगरानी समिति के महासचिव डा0 लेनिन ने करते हुये मुस्लिमों की सामाजिक व आर्थिक स्थिति को साझा किये तथा मानवाधिकार मार्गदर्शिका पुस्तिका का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया।

बीएचयू के भूतपूर्व आइसा नेता सुनील यादव ने कहा कि उदारवाद के नाम पर जो बाजारवाद चल रहा हैं, उसके खिलाफ लड़ाई जारी रखते हुए इसकी दिशा तय करनी होगी। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जब देश में कोई आतंकवादी घटना होती है तो उत्पीड़न मुस्लिमों के साथ ही होता हैं और राजनैतिक पार्टीयां लगातार तुष्टिकरण की बात करती हैं लेकिन सच्चर कमेटी ने इन सभी दावों की पोल खोल कर रख दी हैं। जिसमें साफ-साफ कहा गया हैं कि भारत में सबसे अधिक हासिये पर रही अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों से भी अधिक बुरी एवं बदतर स्थिति आज मुस्लिमों की हैं।

आगे की कड़ी में कौमी एकता दल के अतहर जमाल लारी ने कहा हम होली मिलन, ईद मिलन कार्यक्रम करते है, लेकिन कभी आत्ममीयता के स्तर पर ये सब नही करते, सरकार व प्रशासन के साथ समाज को भी समझने की आवश्यकता है कि सामाजिक सेवा व सौहार्द के नाम पर सभी कार्यक्रम केवल रस्म अदायगी के लिए न किया जाय बल्कि ईमानदारी व दिली ज़ज्बे के साथ किया जाये। शिक्षा के मुद्दे पर उन्होने कहा कि मुस्लिमों के बच्चें इस लिए पढ़ने नही जा पाते हैं, क्योंकि उनके माता-पिता फीस देने में असमर्थ है। इस लिए वह कुछ पैसे कमाने के लिए बचपन से ही दस्तकारी व बुनकारी में लग जाते है, साथ ही उन्होंने कहा जुवान से धर्म निरपेक्ष न हो बल्कि दिल से बने एवं ऐसे समाज का निर्माण करें।

काग्रेस के अनील श्रीवास्तव ने कहा कि मैं छात्र जीवन से ही राजनीति से जुडा रहा हूँ लेकिन उस समय में वहा न तो इस तरह की साम्प्रादायिक बातें होती थी और न ही जाति धर्म का बहुत मतलब होता था। आज समाज में पहले के मुकाबले लोग जागरुक हो रहे है। बुनकर केवल मुस्लिम ही नही बल्कि बुनकारी का काम हिन्दू भी करते है।

बजरडीहा के मुख्तार अंसारी ने कहा कि बजरडीहा के गोली काण्ड में मेरे बेटे का इन्तकाल हो गया। पुलिस ने फाइनल रिर्पोट लगाकर फाईल बन्द कर दिया था, लेकिन मानवाधिकार जननिगरानी समिति ने इस लड़ाई में मेरा साथ दिया और इन्साफ मिला।

कार्यक्रम के इसी कडी में शहर-ए-मुफ्ती जनाब मौलाना अब्दुल बातीन साहब ने डायण्म होटल में यूरोपियन यूनियन के प्रतिनिधियों से मुलाकात किया उन्होंने कहा कि बेशक आज के इस माहौल में भाईचारे व यकजहती के लिए सभी लोगों को साथ मिलकर कोशिश करनी होगी ताकि लोगों के बिच में मोहब्बत भाईचारा व अम्नो-अमान बना रहे और फिरकावाना ताकतो को शिकस्त मिले।

अन्त में समाज के सभी लोगों से मिलकर आहवान करते हुये डा0 लेनिन ने कहा कि किसी भी लड़ाई या दगें में टूटे हुये लोगों को संगठीत होकर लड़ाई लड़ने की जरुरत हैं, जिससे उन दोषियों पर कार्यवाही हो तथा कानून का राज स्थापित हो। आगे इस कार्यक्रम के अन्तर्गत त्ज्प् व त्ज्म् पर मुस्लिमों को जानने हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जायेगा तथा साथ में यह भी कहा कि आगे के कार्यक्रम में डीआईजी व पुलिस के अन्य अधिकारियों को बुलाकर उनके सामने पीडितों का समस्याओं पर वार्ता करायेगी जायेगी।

कार्यक्रम में इदरीश अंसारी, सिद्दीक हसन, मौ0 असलम अंसारी, मासूम रहमानी, मदरसा उस्मानियां के सदर, मेहताब अहमद, इरसाद अहमद, कादिर, उपेन्द्र, जयकुमार मिश्रा, कात्यायनी आदि उपस्थिति रहे। कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन श्रुति नागवंशी ने किया।