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Reducing police torture against Muslim at Grass root level by engaging and strengthening Human Rights institutions in India

Thursday, May 31, 2012

पुलिस द्वारा कक्षा 10 मे पढने वाले मुस्लिम छात्र को 20 से ज्यादा बम ब्लास्ट के केस मे झूठा फसाया और लगभग 13 वर्ष तक जेल मे रहने के पश्चात कोर्ट ने सभी मामलो से बरी किया। छात्र का भविष्य बर्बाद होने तथा उसके जीवन जीने के अधिकार के हनन पर मुआवजा के सम्बन्ध मे।

                                                                                                                                                                
सेवा मे,                              दिनांक 31/5/2012
माननीय मुख्यमंत्री महोदय,

उत्तर प्रदेश शासन,

उत्तर प्रदेश सरकार,

लखनऊ।


विषय : पुलिस द्वारा कक्षा 10 मे पढने वाले मुस्लिम छात्र को 20 से ज्यादा बम ब्लास्ट के केस मे झूठा फसाया और लगभग 13 वर्ष तक जेल मे रहने के पश्चात कोर्ट ने सभी मामलो से बरी किया। छात्र का भविष्य बर्बाद होने तथा उसके जीवन जीने के अधिकार के हनन पर मुआवजा के सम्बन्ध मे।

महोदय,

      आपको यह अवगत कराना चाहता हू कि मोहम्मद आमिर खान पुत्र मुहम्मद हसीम जो कि कक्षा 10 का छात्र था। 20 फरवरी 1998 को उसे केवल शक के बिना पर पुलिस ने उठा लिया और उसे लगभग 20 से ज्यादा बम ब्लास्ट के मामले मे अवैध रूप से दोषी बनाया। 1996 के गाजियाबाद बम ब्लास्ट का भी मुख्य आरोपी बनाया गया। आमिर के पिता आर्थिक रूप से बहुत कमजोर थे और कोई वकील केस लडने को तैयार नही हुआ। जिसके सदमे से उसके पिता की मृत्यु हो गयी और उसकी मा की तबियत भी खराब हो गयी।

      साथ ही गाजियाबाद ब्लास्ट मे आमिर के साथ एक अन्य आरोपी शकील अहमद जो कि एक गरीब फेरीवाला था। उसे भी गिरफ्तार किया गया था। उसे दसना जेल गाजियाबाद मे जहर देकर मार दिया गया था और शकील का शव बैरक मे लटकता हुआ पया गया था। जिसमे सेशन कोर्ट गाजियाबाद के आदेश के बाद जेल अधीक्षक वी0 के0 सिंह और 4 अन्य पुलिस वालो पर एफ.आई.आर दर्ज की गयी थी।

आमिर 13 वर्ष से अधिक जेल मे रहा जहा उसे कोर्ट मे ट्रायल के लिये भी पेश नही किया गया। इसके बाद उच्च न्यायालय, इलाहाबाद मे उसके केस को देखते हुये सभी मामलो मे बरी कर दिया है. लेकिन आज भी आमिर और शकील को इंसाफ नही मिल पाया है।

अतः आपसे निवेदन है कि जिस प्रकार हैदराबाद के मक्का मस्जिद मे ब्लास्ट से बरी हुये व्यक्तियो को राज्य सरकार ने 1 लाख रुपये प्रति वर्ष (जितने समय जेल मे रहे) का मुआवजा दिया है. अतः आप से अनुरोध है कि आमिर व शकील को प्रति वर्ष जितने वर्ष जेल मे रहे उसे मुआवजा दिलाने की कृपा करे व दोषी पुलिस वालो के खिलाफ कानूनी कार्यवाही कराने का आदेश दे। ताकि भविष्य मे किसी निर्दोष को झूठे केस मे न फसाया जाय।


भवदीय

डा0 ळेनिन

महासचिव

मानवाधिकार जननिगरानी समिती   

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