PVCHR initiative supported by EU

Reducing police torture against Muslim at Grass root level by engaging and strengthening Human Rights institutions in India

Monday, May 2, 2011

“सहसपुर (मुरादाबाद) का साम्प्रदायिक पुलिस उत्पीडन :-कानून का राज खतरे मे ?’’

 

"सहसपुर (मुरादाबाद) का साम्प्रदायिक पुलिस उत्पीडन :-कानून का राज खतरे मे ?''

मुरादाबाद-आगरा-दिल्ली, मुख्य मार्ग पर मुरादाबाद से 27 किलोमीटर दूर मुरादाबाद जिले के बिलारी थाना स्थित लगभग 15 हजार आवादी वालें (8000 हिन्दू , 7000 मुस्लिम) 'सहसपुर' गांव में 16 फरवरी 2011 को 'बरावफात' के जुलूस के दौरान पुलिस ताण्डव की घटना, शासन की साम्प्रदायिक सोच के परिणाम स्वरुप अल्पसंख्यकों की मन स्थिति, भय, नुकसान, आजिविका को संकट पर ये पंक्तिया सटीक बैठती है।

घर जला जिसका उसको सजा,

जुल्म की इन्तहा हो गयी।

फुल गुलचिया उठा ले गया,

बागवां को सजा हो गयी।'

'सहसपुर' अपनी सहिष्णुता के  लिए प्रसिद्ध धारावाहिक 'कौन बनेगा करोड़पति' पर एक सवाल के जवाब के सन्र्दभ में आया था। ''दशहरा और होली'जैसे प्रमुख त्योहार जहाँ हिन्दू से ज्यादा मुस्लमान मनाते है।वही दूसरी तरफ यह इलाका अल्पसंख्यक केन्द्रित जिला मुरादाबाद का हिस्सा है जहा  अल्पसंख्यक कल्याण का प्रधानमंत्री का 15 सुत्रीय कार्याक्रम भी चल रहा है. पिछले 'बरावफात' के समय परम्परागत मार्ग से निकलने वाले जुलूस के मार्ग के क्षतिग्रस्त होने के कारण हिन्दूओं ने जुलूस को दूसरे मार्गो से निकलने के लिए स्वयं सुझाव दिया। उसी 'सहसपुर' के मुस्लिम बुनकरों के 'घर'  इस बार की  'होली' पर खाली है, अधिकतर मुस्लिम परिवार हिन्दू त्योहार पर किसी किसी बहाने दूसरी जगह चला गया है। 'सहिष्णुता' के जवाब के रुप में आने वाले 'सहसपुर' के मुस्लिम बुनकरों की 'चुप्पी' 16 फरवरी 2011 के  दिन बरावफात के जुलूस के समय घटित घटना के पश्चात्  'उत्तर प्रदेश शासन' की धर्मनिरपेक्षता पर सवाल खड़ा करती है। घटना के दो माह बाद भी पीडि़तों की खामोशी, उनके अन्दर का भय प्रशासन की प्रताडना, क्रुरता स्वयं वयां करती है।

घटना के चश्मदीद गवाहों एवं पैरोकारो के अनुसारः-

सार्वजनिक स्तर पर कोई भी पीडि़त घटना के सम्बन्ध में बात नही करता। व्यक्तिगत बातचीत में घटना के सम्बन्ध में मोहम्मद वसीम बताते है कि 'इसके पूर्व यहाँ पर हिन्दू-मुस्लमान के बीच कभी भी कोई विवाद नही हुआ है। पिछले 'बरावफात' पर मार्ग क्षतिग्रस्त होने पर स्वयं हिन्दूओं ने नये मार्ग से जुलूस निकालने का प्रस्ताव रखा था। इस बार जुलूस जब आगे बढ़ा तो ग्राम प्रधान 'किशन सिंह जाटव' अन्य जाटव युवको ने जुलूस को आगे बढ़ाने से रोक दिया। जुलूस की सुरक्षा के  लिए स्थानीय ऍस.डि.ऍम. साथ चला रहे थे।ऍस.डि.म  ने पहले जुलूस को आगे बढ़ाने के लिए वार्ता की शुरुआत की परन्तु तभी उनके मोबाइल पर एक फोन आया और उन्होने जुलूस को पिछे की ओर से दुसरे मार्ग से ले जाने को कहा। मुस्लिम और स्थानीय अधिकारियों में बहस होने लगी। इसी दौरान जाटवों के घरों की छतों से पत्थर बाजी शुरु हो गयी। पुलिस ने लाठ़ी चार्ज कर दिया। लोग भागने लगे तो कुछ मुस्लिम युवको ने भी बचाव में पत्थर बाजी की। इस भगदड़ में एक बारह वर्षीय मुस्लमान बालक(शाहिबे अली,पुत्र अबदुल हक) की मौत हो गयी। स्थिति की गम्भीरता  को देखते हुए रैपिड एक्शन फोर्स और पी.ऍ.सी. को बुलाया गया। पुलिस वालों ने गैस के गोले छोड़े, जो लोगों के घरों में जाकर गिरे। पुलिस और जाटव दोनों मिलकर मुस्लमानों के घरों में घुसकर औरतों, बच्चों और पुरुषों को पीट रहे थे। घरों के दरवाजें तोड़ दिये गये। एक तरफ जाटव घरों को लूट रहे थे, तो दूसरी तरफ पुलिस  पीटने में व्यस्त थी।"  

मो0 हाफिज घटना को याद करते हुए सहमी हुए आवाज मे  कहते है कि 'पथराव के बाद मै  भागकर अपने घर गया पुलिस वाले औरतों और बच्चों को पीटकर छोड़ देते थे, परन्तु युवको तथा बुजुर्गो  को गिरफ्तार कर रहे थे। मै  डर से कई कपडे़ लपेट कर बंडल की तरह चारपाई के नीचे छुप गया पुलिस वालें मेरे घर का दरवाजा तोडकर अन्दर गये और तोड़-फोड करने लगे।उन्होने मेरी  पत्नी के बाल खिचते हुए पुछा कि 'तुम्हारा घरवाला कहाँ गया तो उसने कहा कि 'वो बाहर गया है।''पुलिस वाले चले गये तभी एक गैस का गोला घर में गिरा मै  दौडकर बाहर आँगन में गया गोले को बाहर फेकना चाहा तो उसके धुएं से आँखे चुभनी लगी।'' मो0 हाफिज आज भी आँखों में दवा डाल रहे है।

मो0 सलीम का निकाह घटना के कुछ दिन बाद ही था।शादी होने का सबूत देखने के बाद  जिलाधिकारी के निर्देश पर उन्हे छोडा गया। सलीम के हाथ और पैर में चोट लगी है। घटना के सम्बन्ध में सलीम बताते है कि 'मै  मामले को सुलझाने   के लिए बातचीत कर रहा था फिर भी  पुलिस वाले मुझे  पीटने लगे , मै  भाग कर एक घर की छत पर चढ़ गया पुलिसवाले बाहर से सीढ़ी लगाकर चढ़ने लगे, तो मै डरकर छत से कुद गया कुदने के बाद नीचे पकडकर मेरी पिटाई की गयी और गिरफ्तार कर लिया गया।जेल से आने के बाद मै दहशत मे था, आगे कोई  रास्ता नजर नही आ रहा था, लग रहा था कि जिन्दगी बरबाद हो गयी,  मुझे  निकाह करना अच्छा नही लग रहा था लेकिन रिश्तेदारो  के दवाव पर  मैने निकाह  की।निकाह के समय लोग मुझसे क्या हुआ था पुछ रहे थे तो मुझे बहुत ग्लानि हो रही थी.

एक बच्चे की मौत की सुचना से लोगों, विशेषकर महिलाओं के अन्दर अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर  दहशत और  बढ़ गयी। मो0 मुश्तकीम बताते है कि जुलूस में सभी घरों के बच्चें शामिल थे। पथराव के बाद कुछ बच्चे तो अपने घर पहुँच गये, परन्तु बहुत सारे बच्चें भय एवं दहशत की वजह दूसरे के घरों में छूप गये या भागकर बिलारी बाजार(1 किमी)  में चले गये। मुहल्लों में पुलिस रब्बर की गोलियां और आंसु गैस के गोले छोड रही थी। बाहर जाकर हम अपने घर के और सद्स्यो तथा बच्चों को ढूढ़ नही पा रहे थे,हमलोग बहुत ही परेशान थे और  बहुत ही डर लग रहा था हम लोग मोबाइल से सुचना ले रहे थे। परन्तु  मोबाइल मे पैसा ज्यादा नही था,इसलिये सुचना मिलना बन्द हो गया

घटनास्थल से, घरों के दरवाजे तोडकर घरों के अन्दर से पुलिस ने 27 लोगों को गिरफ्तार किया गया। उन पर पुलिस ने धारा -147,148,149,307,332,353, आदि के अन्तर्गत मुकदमा दर्ज किया। मुकदमे की प्रतिलिपि संलग्न

गिरफ्तार लोगों का विवरण निम्न हैः-                                                       

क्र..

नाम

उम्र

पिता का नाम

पता

1

तौफकी आलम         

16

श्री ब्दुल  जव्वार

लाल मस्जिद, सहसपुर,थाना-बीलारी,मुरादाबाद

2

इसरार हुसैन

28

श्री ब्दुल  जव्वार

लाल मस्जिद, सहसपुर, थाना-बीलारी,मुरादाबाद

3

मौ0 हनीफ

45

मौ0 यामी

लाल मस्जिद, सहसपुर, थाना-बीलारी,मुरादाबाद

4

इरफान    

20

अन्सारी

इमली मुहल्ला, सहसपुर, थाना-बीलारी,मुरादाबाद

5

मौ0 हयात               

36

मौ0 यामी

लाल मस्जिद, सहसपुर थाना-बीलारी,मुरादाबाद,

6

वव्वन                      

42

मोह. मालि

इमली मुहल्ला, सहसपुर, थाना-बीलारी,मुरादाबाद

7

मौ0 तौफीक

18

श्री 0 जव्वार

लाल मस्जिद, सहसपुर, थाना-बीलारी,मुरादाबाद

8

इकराम हुसैन

20

श्री 0 जव्वार

लाल मस्जिद, सहसपुर, थाना-बीलारी,मुरादाबाद

9

मौ0 नसीम              

25

मौ0 फारु

इमली मुहल्ला, सहसपुर, थाना-बीलारी,मुरादाबाद

10

मुशाहिद अख्तर( हार्ट पेशेन्ट)

23

शाहिद हुसैन              

लाल मस्जिद, सहसपुर, थाना-बीलारी,मुरादाबाद

11

यामीन     

25

सईद अहमद

इमली मुहल्ला, सहसपुर, थाना-बीलारी,मुरादाबाद

12

इकरार

30

मौ0 इसरार

इमली मुहल्ला, सहसपुर थाना-बीलारी,मुरादाबाद

13

नन्हू (मेहमान)       

 

रुस्तम अली

चक्कर की मिलक,थाना-सिविल लाइन,मुरादाबाद

14

डा0 शकील

42

कबीर

नयी बस्ती, सहसपुर थाना-बीलारी,मुरादाबाद

15

वहदि

65

वदलू

नयी बस्ती, सहसपुर, थाना-बीलारी,मुरादाबाद

16

सुलेमान  

 

रईश

नयी बस्ती, सहसपुर, थाना-बीलारी,मुरादाबाद

17

रईश

 

खलील

नयी बस्ती, सहसपुर, थाना-बीलारी,मुरादाबाद

18

इरफान

 

वहदि

नयी बस्ती, सहसपुर थाना-बीलारी,मुरादाबाद,

19

इकराम

30

मौ0 एहसान

लाल मस्जिद, सहसपुर थाना-बीलारी,मुरादाबाद

20

मौ हासिम             

18

जाइद 

बड़ी मस्जिद, सहसपुर, थाना-बीलारी,मुरादाबाद,

21

नुरमौहम्मद

25

मौ0 याकूव

बड़ी मस्जिद, सहसपुर, थाना-बीलारी,मुरादाबाद

22

गुलाम मुहम्मद

23

मौ0 याकूव

बड़ी मस्जिद, सहसपुर थाना-बीलारी,मुरादाबाद,

23

खलील अहमद(मेहमान)

 

0 गफूर

रहमत नगर,थाना-कटघर, मुरादाबाद

24

जाकिर हुसैन          

25

शौकत हुसैन            

बड़ी मस्जिद, सहसपुर थाना-बीलारी,मुरादाबाद,

25

इदरीस

22

एहसान

लाल मस्जिद, सहसपुर थाना-बीलारी,मुरादाबाद,

26

डा0 महमुद हुसैन

25

सद्दीक अहमद

नूरुटला ,थाना- कुन्दरकी,मुरादाबाद

27

आसिफ                   

 

जशर

मोहल्ला-इव्राहीमपुर,थाना-बीलारी,मुरादाबाद

               

v  मानवाधिकार जन निगरानी समिति के द्वारा सहसपुर गाँव का दौरा कर निरीक्षण किया गया जिसमें निम्नलिखित तथ्य पाये गये-

o    घटना के सम्बन्ध में प्रशासन को पहले से ही जानकारी थी, परन्तु जुलूस निकालने के लिए मार्ग का कोई रोड़ मैप तैयार नही किया गया।

o    घटना के दुसरे दिन भी शासन घटना पर नियत्रण नही कर पाया. 

o    घटना के पश्चात् सिर्फ मुसलमानो पर ही गंभीर प्राथमिक दर्ज की गयी।

o    मुस्लिम बुनकरों के घरों के दरवाजे, करधे टुटे हुए मिले।

o    मुस्लिम बुनकर की फैक्ट्री जली हुई मिली।

o    मुस्लिम बुनकरों के कुछ युवकों की गंभीर चोट अभी दिख रही है। कुछ लोगों के टुटे हुए हाथों का प्लास्टर नही कटा है।

o    कोई भी जनप्रतिनिधि वर्तमान विधायक एवं सांसद घटना स्थल पर अभी तक नही गया है।

o    जिलाधिकारी, डी.आई.जी.की मौजुदगी मे मरे हुए बालक को लगभग 20 मिनट के अन्दर ही दफना दिया गया

o    लाश घरवालो के पास 10 मिनिट भी नही रहने दिया गया.

o    पथराव में मरें हुए बालक (शाहिबे अली)  के अलावा किसी को भी मुआवजा नही जारी किया गया है।

o    पुलिस की उपस्थिति के कारण बुनकारों में भय व्याप्त है, जिससें वो घरों से बाहर एक माह तक नही निकले।

o    तनावपूर्ण माहौल के कारण माल खरीदने के लिए बाहर से आने वाले व्यापारियों सहसपुर नही आये।

o    बहुत से परिवार भुखमरी के कगार पर है।

o    लोग भयभीत आतंकित है। वो सार्वजनिक स्तर पर घटना के सम्बन्ध में कोई बात नही करते।

o    पी.वी.सी.एच.आर. की विजिट के दौरान ही 20 लोग जमानत पर आयें।

o    बिसवसत सुत्रो के अनुसार लगभग 3500 से 4000 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफ.आई.आर है ,लोगों के अन्दर यह भय है कि उनका नाम पुलिस मुकदमें में डाल सकती है ??

o    प्रशासन ने पुलिस के खिलाफ कार्यवाही मे एक अधिकारी का स्थानान्तरण तथा एस.एच.ओ. एवम चौकी इनचार्ज को लाइन हाजिर कर दिया है.

o    हमारी विजिट के दौरान एक दरोगा एवं एक सिपाही कागज लेकर मुस्लिम बस्ती में घुम रहे थे, परिणामतः अभी भी भय का वातावरण बना हुआ है।

o    घटना के बाद कइ  मुस्लिम परिवारो ने बच्चों को स्कूल नही भेजा, परिणामतः बच्चें वार्षिक परीक्षा नही दे पाये।

o    मुस्लिम बस्ती में आगनबाडी, स्वास्थ्य कर्मी, सफाई कर्मचारी नही रहे थे।

o    एक माह तक राशन वितरण प्रणाली, मनरेगा के अन्तर्गत सुविधा नही दी गयी।

o    घटना के मुख्य साजिशकर्ताओ पर कोई मुकदमा दर्ज नही किया गया।

o    बगल के गांव के कुछ हिंसक युवको को भी बुलाया गया था।

o    पुलिस से बचने के लिए दो मंजिलों से लोग नीचे कूद गये।

o    मुस्लमानों की आर्थिक स्थिति अत्यन्त ही कमजोर ऍवम दयनीय है। गिरफ्तार लोगों का केस लडनें के लिए सार्वजनिक रुप से चंदा इकठ्ठा किया गया।

o    कुछ प्रगतिशील हिन्दूओं ने घटना के बाद आर्थिक एवं कानूनी सहायता प्रदान की।

निष्कर्ष:-

o    उत्तर प्रदेश प्रशासन की कार्यवाही अमानवीय एवं एकतरफा है।

o    प्रशासन ने जिम्मेदार अधीकारियो पर कडी कार्यवाही नही की जिससे मुसलमानो डर गये है.

o    मुसलमानो को पुनः प्रताडि़त किया जाय इसलिए वह दोषियों पर कोई कार्यवाही नही चाहते है।

o    स्थानीय अधिकारियों ने समस्या की सुलझाने का कोई प्रयास नही  किया।

o    पुलिस ने गैर कानूनी तरीके से महिलाओं एवं बच्चों पर अत्याचार किया।

o    बेगुनाह युवकों पर दंगा करने एवं पुलिस पर जानलेवा हमला करने जैसे गंम्भीर आरोप लगाये।

o    घरों में घुसकर बीमार युवक (मुशाहिद अख्तर, हार्ट पेशेन्ट) को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया।

o    पुलिस ने एक ही परिवार के सभी पुरुषों को गिरफ्तार कर लिया परिणामतः परिवार की देखभाल करने वाला कोई नही था।

o    पुलिस में मुसलमानो के प्रति पूर्वाग्रह था कि वे ही दंगा करेगे।

o    पुलिस ने हिन्दूओं के मुहल्लें में गश्त नही किया

o    पुलिस का सोच 'साम्प्रदायिक'  है।

o    मुस्लमानों के आर्थिक नुकसानों की कोई भी गणना नही हुई।

o    दोषियों पर कोई जाँच नही बैठायी गयी।

o    गिरफ्तारी के समय 'डी.के.बसु बनाम पश्चिम बंगाल मामले मे माननीय सुप्रीम कोर्ट के दिये निर्देशों का पालन नही हुआ।

o    मेहमानों (नन्हु एवं खलील अहमद) को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया।

o    पुलिस से बचने के लिए लोग छतों पर से कुद गये परिणामतः कई को गंम्भीर चोट आयी।

o    पुलिस की एकतरफा कार्यवाही से लोगों के अन्दर से न्याय व्यवस्था से विश्वास समाप्त हो चुका है।

o    लोगों की आर्थिक स्थिति अत्यन्त कमजोर है और वह कानूनी लडाई लडने मे अक्षम है।

o    मुस्लमानों के आजीविका के साधन खत्म होने के कगार पर है। जबकि उनके ऊपर कर्ज चुकाने की भी जिम्मेदारी है।

o    देवबंदी मुस्लिम समुदाय के वाजिद एवं ग्राम प्रधान कल्याण सिंह जाटव (रिटायर्ड 0प्र0 पु0 दरोगा) के दबदबे का पूर्व में प्रतिरोध घटना का मुख्य कारण था।

o    घटना के साजिश एवं क्रियान्वयन में पुलिस, वाजिद, और कल्याण सिंह जाटव की प्रमुख भूमिका है।

o    वर्तमान पुलिस व्यवस्था, अधिकारियों की साम्प्रदायिक सोच और विवेकहीनता बुनकरों की प्रतिक्रिया का कारण थी।

 

 

 

 

 

 

निवेदन/मांग:-

v  पूरे मामले की निष्पक्ष जाँच अल्पसंख्यक आयोग, उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायधीश एवं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से करायी जाय।

v  पीडितों पर से गम्भीर मुकदमें वापस लिये जाय।

v  मृतक के परिवार वालो  एवं घायलो  को आर्थिक सहायता शीध्र उपलब्ध करायी जाय।

v  किसी भी बैंक की रिकवरी पर रोक लगायी जाय।

v  दोषियों पर शीध्र कार्यवाही किया जाय।

v  जिलाधिकारी, एस.डी.एम. एवं थानाध्यक्ष पर कठोर कार्यवाही की जाय। जिससे अल्पसंख्यकों का विश्वास न्याय व्यवस्था में कायम रहे।

v  बुनकरों को आजीविका के साधन उपलब्ध कराये जाय।

v  अल्पसंख्यको के कल्याण के लिये प्रधानमंत्री के 15 सुत्रीय कार्यक्रम के तहत पुनर्वास किया जाय.

v  शासन 'घटना' पर पीडितो/अल्पसंख्यको से माफी मांगे।

v  समाज में भाईचारा, सहिष्णुता स्थापित करने के लिए ऐसे संवेदनशील क्षेत्रों में मानवाधिकार कार्यकर्ता, सभी समुदाय के प्रतिनिधियों, पुलिस अधिकारियों की राष्ट्रीय, राज्यस्तरीय, जिला, ब्लाक एवं ग्राम सभा स्तर पर कमेटीयों का निर्माण किया जाय।


2 comments:

  1. is comment ko publish karnewaalo se request hai ki aisi hi 1 list godhara kaand ki bhi naikalne ki kosish kar lo apna vote bnk badaane ki kosish karne waalo kv to insaan bano jhooth muth ke Dange bhadka doge aisi baate karke jo galat hai wo galt hai unko saza milni chahiye per ye kahna ki desh me musalmano ke sath galt ho raha hai sampradikta ko badwa dene ko kosish aur apna vote badane ka 1 prayash hi hai ye---------rajesh nagbanshi

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  2. Godhara me to saja ho gayee.Krisna commission me Mumbai dange ke logo par FIR bhi nahee huwa,Kyo? PVCHR vote aur rajnit nahi karata hai.Wo sachachai dekh kar liklhata hai.Ye us committee ki report hai jisame 99 percetage hindu the.Sectarian soch ne desh ko Hitler aur Taliban ke raste par la sakata hai

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