PVCHR initiative supported by EU

Reducing police torture against Muslim at Grass root level by engaging and strengthening Human Rights institutions in India

Sunday, May 29, 2011

Friday, May 27, 2011

पहली बार लगा कि आज़मी और मोहम्मद होना बुरा है …

 

पूर्वी उत्तरप्रदेश से पुलिस उत्‍पीड़न पर लेनिन रघुवंशी की रपटें लगातार सरोकार पर प्रकाशित हो रही हैं. इस बार की रपट इस मायने में अलग है कि इस बार पुलिस प्रताड़ना का शिकार बीएचयु के दो पढे-लिखे मुसलमान नौजवान बने हैं . पेश है उन्‍हीं में से एक मो. ईसा आज़मी की कहानी उन्‍हीं की जबानी.

 

मेरा नाम मो0 ईसा आज़मी, उम्र-20 वर्ष पुत्र-मो0 इसमाइल आज़मी, मकान नं. S3/190E-2A उल्फत बीबी का मजार, अर्दली बाजार, वाराणसी का निवासी हूँ। मैं काशी हिन्दू विश्‍वविद्यालय में बीए सेकेंड इयर का छात्र हूँ। कल मैं ट्राउंस कोचिंग से घर के लिए अपने दोस्त अज़हर अब्बास के साथ बजाज मोटर साईकिल से निकला था। मैं गाड़ी के पीछे बैठा चला आ रहा था कि दैनिक जागरण मोड़-नदेसर चौराहा पर मेरे घुटने से ट्रैफिक जाम होने के कारण वहाँ के दुकानदार की एक्टिवा (दो पहिया गाड़ी) से लड़ गयी और वह गिर गयी। मैं गाड़ी से उतरकर उसको उठाने लगा, वहाँ पर उस गाड़ी का मालिक भी आ गया। उसने अज़हर (मेरे दोस्त) की गाड़ी की चाभी निकाल ली । मैंने उससे

ईसा आज़मी के बाजु पर निशान अब भी हैं

गाड़ी की चाभी मांगी, इस पर वह बोला-''मेरे गाड़ी का नुकसान भरो,'' मैंने-हाँ कहा, फिर भी वह चाभी नही दे रहा था। थोड़ी बात बढ़ी, तब तक वह एक थप्पड़ मेरे बायें गाल पर दे मारा। मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और पीछे धकेल दिया। इतने में पीछे से एक और आदमी आया और मुझे मारने के लिए हाथ चलाया। लेकिन मैंने उसे भी रोक लिया। मेरा दोस्त भी उन लोगों को पीछे धकेल रहा था। किसी प्रकार वे दोनों वहाँ से हटकर अंदर दूकान में गये और एक अपने हाथ में 'स्टूल' और मारने के लिए समान ढू़ढ़ने लगे। अभी वह स्टूल हम पर चलाता कि पीछे से कोई मुझे मेरा कॉलर पकड़ कर खिंच लिया। मैं तुरन्त पलट कर देखा, वह पुलिस वाला था। उसकी वर्दी पर तीन स्टार लगे थे। मैं नाम नहीं पढ़ पाया। बाद में पता चला कि सी0ओ0, दशाश्वमेघ, वाराणसी थे। सी0ओ0 को देखकर दोनों दुकानदार रूक गये।

अचानक सी0ओ0 द्वारा खींचे जाने पर मैं घबरा गया। कुछ समझ में नहीं आया कि क्‍या हुआ। सी0ओ0 ने मेरे चेहरे पर चार-पाँच थप्पड़ जोर-जोर से रसीद दी। मैं अपनी बात बताता रहा, लेकिन उन्‍होंने सब अनसुना कर दिया। वे लगातार बोले जा रहे थे, ''ज्यादा बोलोगे? चुप रहो,'' और चेहरे पर थप्पड़-थप्पड़ मारते रहे। मेरे दोस्त को मुझसे भी ज्यादा मारा उन्‍होंने। मैं डर से चुप था और अपने दोस्त का मुँह जबरदस्ती बंद किया। तभी पीछे से दुकानदार बोला-''सर ये दोनों बैग में बंदूक रखे है, गोली चलाने की बात कह रहे थे।'' सी0ओ0 ने उनकी बात सुनकर हाथ के इशारे से चुप कराया और सदर पुलिस चौकी को फोन कर सूचना दे दी। फोन की बात खत्म होते ही मेरा दोस्त डरते हुए बोला-''सर, ये लोग झूठ बोल रहे हैं, मेरे पास कुछ भी नहीं है तथा ना ही मैंने ऐसा कुछ कहा है।  हम लोग बी0एच0यू0 के छात्र हैं।'' इतना सुनते ही सी0ओ0 बोला-''तुम लोग बी0एच0यू0 के छात्र हो?'' और लगातार उसको थप्पड़ों से मारने लगे। बोले-''बी0एच0यू0 के छात्र सबसे ज्यादा बदमाश होते हैं।'' उसी दौरान वहाँ दो मोटरसाईकिल से चार पुलिस वाले सदर पुलिस चौकी से आये। सी0ओ0 से कुछ आपस में बातचीत किये और वहाँ से एक मोटरसाईकिल पर हम दोनो को ट्रीपल लोडिंग करके सदर पुलिस चौकी ले गये। रास्ते भर चालक पुलिस वाला हम लोगों से कुछ भी नहीं बोला। वहाँ पर दोनों दुकानदार भी आये। हम लोगों को बैठाया तथा ए0के0 सिंह (दो स्टार) चौकी इंचार्ज बोला- ''क्या हुआ था?'' तुरन्त दुकानदार ने कहा, ''ये दोनो गोली मारने की बात कह रहे थे और जिहाद करने को बोल रहे थे।'' तभी दूसरा आदमी बोला-''निकालो, बंदूक निकालो, कहाँ रखे हो, बैग से निकालो बंदूक।'' इस पर अजहर बोला, 'भाई झूठ क्यों बोल रहे हैं, हमने कब ये सब बोला?' दुकानदार बोला, ''देखिए, कैसे जुबान लड़ा रहा है, इसका ताव देखिए।'' उसी दौरान मैंने एस0पी0 विजिलेंस को फोन लगाया, 'उनको झट से घटना बतायी, जो मैंने अपने बड़े भाई मूसा से एसएमएस द्वारा नम्बर प्राप्त किया था। मैंने एस0पी0 विजिलेंस से बोला कि चौकी इंचार्ज यहीं हैं, इनसे बात कर लिजिए। चौकी इंचार्ज ने मुझसे पूछा, 'कौन लगता है ये तुम्हारा और फोन लेकर ऑफ कर दिया और जब्त कर लिया। दोस्त का फोन पहले ही जब्त कर चुके थे।

जख्‍म के निशान टांग पर भी हैं

उसके बाद फिर दोनो दुकानदारों ने जिहाद वाली बात छेड़ दी। इस पर मैने कहा, ''झूठ मत बोलिए।' यह सब सुनकर मुझे हँसी आ रही थी। इसलिए थोड़ा मुस्कुरा कर बोला, 'आप लोग बड़े होकर ये क्या बोल रहे हैं।' इस पर चौकी इंचार्ज बोला, ''हँस रहे हो?' और फिर उसने अंदर से लाठी निकाल ली।  पहले दोस्त को मारा, क्योकि वह मुझसे आगे खड़ा था, उसके बाद हमें पहली लाठी दायीं तरफ पीठ पर और उसके बाद दायीं बांह पर लगातार मारते रहे। दोनो टांगो की आगे की हड्डी पर मारा, दोनों हाथ के बांह पर मारा । वह छः फीट का आदमी चार फीट की लाठी से खींच-खींच कर मारे जा रहा था। यह हमारे साथ जिंदगी में पहली बार हो रहा था। हमें कुछ सूझ नहीं रहा था। बस यही सोच रहा था कि  ये लोग इतनी बेरहमी से क्यों मार रहे हैं।

उसके बाद भी मन नहीं भरा तब मेरे बालों को खींच-खींचकर चेहरे पर थप्पड़ों से मारा तथा ज़मीन पर पटक कर लात से भी मारने लगा। मेरे मुँह से लगातार यही निकल रहा था कि क्यों मार रहे हैं सर, लेकिन वे सुन नहीं रहे थे। मैं अपना दोनों पैर पकड़ कर बैठ गया। तब बोले, 'नाटक करते हो, नाटक कर रहे हो साले' और दो लाठी बांह और पीठ पर मार दिया। उस समय दोपहर के दो-तीन बज रहे थे।

अभी उन बातों को बताकर गुस्सा आ रहा है। वही सब दिमाग में चित्र की तरह घूम रहा है। उस समय मैं चुप-चाप खड़ा रहा, क्योकि हर बात पर वे हमें मार रहे थे। कुछ देर बाद रिश्तेदार लोग चौकी में आये, वे लोग गुस्से में थे। यहाँ तक कि उन्‍होंने अजहर की पूरी किताब फाड़ डाली, बोले-''पढ़ाई अब छोड़ दो, यही सब देखने को रह गया है।'' उस समय चौकी इंचार्ज नहीं थे। वहाँ उस समय केवल दो होमगार्ड उपस्थित थे। अब रिश्तेदार लोग विपक्षी से माफी मांगने को बोले, 'हम लोग उन से माफी मांगे।'

डेढ़-दो घंटे बाद चौकी इंचार्ज आये। आते ही उन्होंने विपक्षी से बोला, ''क्या करना है, आप कुछ करें या न करें हम तो ।ऽ। लगायेंगे ही।'' इस पर विपक्षी बोला कि सुलह करा दीजिए, हमें नही कुछ करना है। उसके बाद सुलह हो गया। फिर हम लोग घर चले आये। किसी को हम नहीं बताये कि हमारे साथ क्या हुआ। अगर सभी जानेंगे, तब हमारी छवि खराब होगी। आज तक हमारी किसी से लड़ाई नहीं हुई। चौकी में हमें बहुत अफसोस हुआ। पहली बार लगा कि आज़मी और मोहम्मद होना बुरा है। इसी नाम के कारण इतनी प्रताड़ना हुई, क्योकि पुलिस इंचार्ज ने जब हमसे नाम पूछा था, तब हमने नाम बताया। नाम सुनते ही उसके चेहरे का रंग बदल गया था।

घर आते समय मन में मैं यही सोच रहा था कि दुकानदार की गाड़ी न उठाकर वहाँ से भाग जाता, तब अच्छा रहता। अभी भी अजीब-सा महसूस हो रहा है, क्या करें समझ में नही आ रहा है। रोज़ हम कोचिंग और विश्वविद्यालय जाते है़, उसी पुलिस चौकी से गुजरना पड़ता है। डर लगता है कि आगे भी हमें पकड़ न ले1  वर्दी वालों को देखकर डर लगता है कि किसी भी बात पर पकड़ ले, मारने लगे, बहुत ही भयभीत हूँ।

चेहरे पर पड़े चमेटों के निशान

हम चाहते हैं कि वर्दी वाले वर्दी का काम करें। वे किसी को भी नहीं मारे, क्योंकि यह हक़ उनको नहीं है। खास कर मुसलमान होने का सज़ा न मिले। हमारे जैसा व्यवहार किसी और के साथ न हो। हमें इंसाफ़ मिले और दोषियों पर न्यायोचित कार्यवाही हो। अगर कुछ संदेह है तो जाँच करा लिया जाए।

उपेन्‍द्र कुमार के साथ बातचीत पर आधारित

डॉ0 लेनिन रघुवंशी 'मानवाधिकार जन निगरानी समिति' के महासचिव हैं और वंचितों के अधिकारों पर इनके कामों के लिये इन्‍हें 'वाइमर ह्युमन राइट्स अवॉर्ड', जर्मनी एवं 'ग्वांजू ह्युमन राइट्स अवॉर्ड', दक्षिण कोरिया से नवाज़ा गया है. लेनिन सरोकार के लिए मानवाधिकार रिपोर्टिंग करते है. उनसे pvchr.india@gmail.com पर संपर्क साधा जा सकता है.

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सरोकार » पहली बार लगा कि आज़मी और मोहम्मद होना बुरा है …

सरोकार » पहली बार लगा कि आज़मी और मोहम्मद होना बुरा है …

Wednesday, May 25, 2011

BHU student and Varanasi native Mohammad Isa Azmi was brutally beaten by local police | Welcome to Indiainfocity.com

BHU student and Varanasi native Mohammad Isa Azmi was brutally beaten by local police Welcome to Indiainfocity.com

Custodial death of AMU employee: Magisterial probe demanded

Custodial death of AMU employee: Magisterial probe demanded

Communal cops, terror bogey, and Muslims: Audio | Islamic News Daily

Communal cops, terror bogey, and Muslims: Audio Islamic News Daily

Communal cops, terror bogey, and Muslims | Welcome to Indiainfocity.com

Communal cops, terror bogey, and Muslims Welcome to Indiainfocity.com

Fwd: Re: Illegal detention of a muslim youth in Varnasi and torture due to his minority status



---------- Forwarded message ----------
From: DIG Police ComplaintCell Lucknow <digcomplaint-up@nic.in>
Date: Wed, May 25, 2011 at 1:55 PM
Subject: Fwd: Re: Illegal detention of a muslim youth in Varnasi and torture due to his minority status
To: sspvns@up.nic.in, DIG Varanasi <sspvns-up@nic.in>, igzonevns@up.nic.in, IG Zone Police Varanasi <igzonevns-up@nic.in>, igzonevns@rediffmail.com
Cc: pvchr.india@gmail.com


To,

          D.I.G./S.S.P., Varanasi.

          The complaint Dr. Lenin Raghuvanshi, Secretary General, Executive Director / Secretary General -PVCHR/JMN, SA 4/2 A, Daulatpur, Varanasi-221002, Mobile:+91-9935599333, E-Mail ID:- pvchr.india@gmail.com  is being forwarded for enquiry and necessary action. If there is no legal hassle regarding this matter then kindly send brief reply to the complainant regarding action taken.

 

Addl.S.P. (P/G),

D.G.P. Hqrs, U.P. 

Lucknow.   



----- Original Message -----
From: PVCHR ED <pvchr.india@gmail.com>
Date: Wednesday, May 18, 2011 4:33 pm
Subject: Re: Illegal detention of a muslim youth in Varnasi and torture due to his minority status
To: DIG Police ComplaintCell Lucknow <digcomplaint-up@nic.in>, uppcc@up.nic.in, sspvns@up.nic.in, DIG Varanasi <sspvns-up@nic.in>, igzonevns@up.nic.in, IG Zone Police Varanasi <igzonevns-up@nic.in>, igzonevns@rediffmail.com, NHRC <ionhrc@nic.in>, akpnhrc@yahoo.com, cmup@up.nic.in, csup@up.nic.in

> On Tue, May 17, 2011 at 10:46 PM, PVCHR ED <pvchr.india@gmail.com> wrote:
> Dear sir,
>  
> Greetings from PVCHR.
>  
> I am bringing the brutal torture case of Mohammad Isa Azmi S/O Janab Mohammad Ismail Azmi R/O S-3/190 E-2-A,ordely bazar Police station Cantt in Varanasi by Nadesar police out-post incharge Mr.A.K.Singh at nearly 1.40 PM of 17 May 2011.Medico-legal report revealved 11 injuries.
>  
> After an intervention by many activists after the apeal of his brother Mr. Moosa Azmi,a renowned Human Rights actvist,Police released him at nearly  4.30 PM.
> Survivor is feeling very discriminatory due to his torture on the name of muslim.
>  
> Please take immediate action for establishment of rule of law.
>  
>  
> With warm regards,
> Lenin  
>

Fwd: Re: Illegal detention of a muslim youth in Varnasi and torture due to his minority status



---------- Forwarded message ----------
From: DIG Police ComplaintCell Lucknow <digcomplaint-up@nic.in>
Date: Wed, May 25, 2011 at 12:59 PM
Subject: Fwd: Re: Illegal detention of a muslim youth in Varnasi and torture due to his minority status
To: sspvns@up.nic.in, DIG Varanasi <sspvns-up@nic.in>, igzonevns@up.nic.in, IG Zone Police Varanasi <igzonevns-up@nic.in>, igzonevns@rediffmail.com
Cc: pvchr.india@gmail.com


To,

          D.I.G./S.S.P., Varanasi.

          The complaint Dr. Lenin Raghuvanshi, Secretary General, Executive Director / Secretary General -PVCHR/JMN, SA 4/2 A, Daulatpur, Varanasi-221002, Mobile:+91-9935599333, E-Mail ID:- pvchr.india@gmail.com  is being forwarded for enquiry and necessary action. If there is no legal hassle regarding this matter then kindly send brief reply to the complainant regarding action taken.

 

Addl.S.P. (P/G),

D.G.P. Hqrs, U.P. 

Lucknow.   



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From: PVCHR ED <pvchr.india@gmail.com>
Date: Wednesday, May 18, 2011 12:28 am
Subject: Re: Illegal detention of a muslim youth in Varnasi and torture due to his minority status
To: DIG Police ComplaintCell Lucknow <digcomplaint-up@nic.in>, uppcc@up.nic.in, sspvns@up.nic.in, DIG Varanasi <sspvns-up@nic.in>, igzonevns@up.nic.in, IG Zone Police Varanasi <igzonevns-up@nic.in>, igzonevns@rediffmail.com, NHRC <ionhrc@nic.in>, akpnhrc@yahoo.com, cmup@up.nic.in, csup@up.nic.in

> Photo of sign of torture attached
>
> On Tue, May 17, 2011 at 10:46 PM, PVCHR ED <pvchr.india@gmail.com> wrote:
> Dear sir,
>  
> Greetings from PVCHR.
>  
> I am bringing the brutal torture case of Mohammad Isa Azmi S/O Janab Mohammad Ismail Azmi R/O S-3/190 E-2-A,ordely bazar Police station Cantt in Varanasi by Nadesar police out-post incharge Mr.A.K.Singh at nearly 1.40 PM of 17 May 2011.Medico-legal report revealved 11 injuries.
>  
> After an intervention by many activists after the apeal of his brother Mr. Moosa Azmi,a renowned Human Rights actvist,Police released him at nearly  4.30 PM.
> Survivor is feeling very discriminatory due to his torture on the name of muslim.
>  
> Please take immediate action for establishment of rule of law.
>  
>  
> With warm regards,
> Lenin  
>
> --
> Dr. Lenin
> Executive Director/Secretary General -PVCHR/JMN
> Mobile:+91-9935599333
>  
> Hatred does not cease by hatred, but only by love; this is the eternal rule.
> --The Buddha
>  
> "We are what we think. With our thoughts we make our world." - Buddha
>  
>  
> This message contains information which may be confidential and privileged. Unless you are the addressee or authorised to receive for the addressee, you may not use, copy or disclose to anyone the message or any information contained in the message. If you have received the message in error, please advise the sender by reply e-mail to pvchr.india@gmail.com and delete the message. Thank you.
>
>
>
>
> --
> Dr. Lenin
> Executive Director/Secretary General -PVCHR/JMN
> Mobile:+91-9935599333
>  
> Hatred does not cease by hatred, but only by love; this is the eternal rule.
> --The Buddha
>  
> "We are what we think. With our thoughts we make our world." - Buddha
>  
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>



--
Dr. Lenin
Executive Director/Secretary General -PVCHR/JMN
Mobile:+91-9935599333
 
Hatred does not cease by hatred, but only by love; this is the eternal rule.
--The Buddha
 
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Fwd: Illegal detention of a muslim youth in Varnasi and torture due to his minority status



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From: DIG Police ComplaintCell Lucknow <digcomplaint-up@nic.in>
Date: Wed, May 25, 2011 at 12:18 PM
Subject: Fwd: Illegal detention of a muslim youth in Varnasi and torture due to his minority status
To: sspvns@up.nic.in, DIG Varanasi <sspvns-up@nic.in>, igzonevns@up.nic.in, IG Zone Police Varanasi <igzonevns-up@nic.in>, igzonevns@rediffmail.com
Cc: pvchr.india@gmail.com


To,

          D.I.G./S.S.P., Varanasi.

          The complaint Dr. Lenin Raghuvanshi, Secretary General, Executive Director / Secretary General -PVCHR/JMN, SA 4/2 A, Daulatpur, Varanasi-221002, Mobile:+91-9935599333, E-Mail ID:- pvchr.india@gmail.com  is being forwarded for enquiry and necessary action. If there is no legal hassle regarding this matter then kindly send brief reply to the complainant regarding action taken.

 

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D.G.P. Hqrs, U.P. 

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From: PVCHR ED <pvchr.india@gmail.com>
Date: Tuesday, May 17, 2011 10:47 pm
Subject: Illegal detention of a muslim youth in Varnasi and torture due to his minority status
To: DIG Police ComplaintCell Lucknow <digcomplaint-up@nic.in>, uppcc@up.nic.in, sspvns@up.nic.in, DIG Varanasi <sspvns-up@nic.in>, igzonevns@up.nic.in, IG Zone Police Varanasi <igzonevns-up@nic.in>, igzonevns@rediffmail.com, NHRC <ionhrc@nic.in>, akpnhrc@yahoo.com, cmup@up.nic.in, csup@up.nic.in

> Dear sir,
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>  
> After an intervention by many activists after the apeal of his brother Mr. Moosa Azmi,a renowned Human Rights actvist,Police released him at nearly  4.30 PM.
> Survivor is feeling very discriminatory due to his torture on the name of muslim.
>  
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Tuesday, May 24, 2011

JANSUNWAI on minority rights

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