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Reducing police torture against Muslim at Grass root level by engaging and strengthening Human Rights institutions in India

Wednesday, March 6, 2013

मानवाधिकार जननिगरानी समिति द्वारा फैजाबाद दंगे की पैरवी के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय से उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को कार्यवाही हेतु पत्र





सेवा में                                        दिनांक : 12 नवम्बर, 2012
           माननीय प्रधानमंत्री महोदय ,
           भारत सरकार,           
      नई दिल्ली |

विषय फैजाबाद दंगे में पूर्व देवकाली मंदिर की मूर्ति चोरी होने व बरामदगी में साम्प्रदायिक राजनीति के तहत पूर्व नियोजित दंगे की जांच व पूर्व प्रेषित खुफिया एजेंसी व इंटेलीजेंस ब्यूरो की खबर को ध्यान न देने में पुलिस व स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता के सन्दर्भ में |

महोदय,
            विदित हो कि दिनांक 24 अक्टूबर2012 को फ़ैजाबाद के रकाबगंज मोहल्ले में हुए दंगो के पीछे पुलिस विभाग और स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता के कारण कम समय में ही कई स्थानों पर टकराव व तनाव उत्पन्न हो गया व दंगे का रूप ले लिया |         
            इन दंगो की शुरूआत दिनांक 21-22 सितम्बर2012 की रात देवकाली मंदिर की मूर्ति चोरी होने पर हिंदूवादी समूहों के अफवाह तंत्रो ने आम जनमानस के भीतर मुस्लिम समुदाय द्वारा मूर्ति चोरी करने की अफवाह फैलाई साथ ही दुर्गा पूजा समिति फैजाबाद ने यह भी कहा कि वो पूजा पंडालो पर विरोध स्वरुप पंडालो को कुछ घंटो तक दर्शन के लिए बंद रखा जाएगा | लेकिन 23 अक्टूबर, 2012 को उस समय हिन्दूवादी ताकतों के मंसूबे पस्त हो गए जब मूर्ती चोरी में पकडे गए चोर हिन्दू मिले |
       इसके अलावा उत्तर-प्रदेश पुलिस की अपनी खुफिया एजेंसी और इंटेलिजेंस ब्यूरो की रिपोर्ट में फैजाबाद में दुर्गापूजा और मूर्ती विसर्जन के दौरान बवाल होने की आशंका जताते हुए प्रशासन को रिपोर्ट भेजी गयी थी | साथ ही स्थानीय प्रशासन ने जिले में धारा 144 भी लागू कर रखा था | इसके बावजूद विसर्जन के दौरान छेड़खानी और पत्थरबाजी की घटना कैसे घटित हो गयी ? यह एक बड़ा प्रश्न है ?
       बवाल भड़काने के दौरान मौके पर पुलिस के कार्य शैली व बेवजह चौकी प्रभारी द्वारा गोली चलाया जाना, स्थानीय इन्स्पेक्टर के बयान से धार्मिक भावना भड़काया जान व घटना में संलिप्त सभासद और ब्यूटी पार्लर के मालिक की गिरफ्तारी न करना तथा लगातार बवाल बढ़ने के बावजूद 12 घंटे बाद कर्फ्यू लगाया जाना, स्थानीय प्रशासन व पुलिसिया कार्यवाही पर सवालिया निशान खडा करती है कि पूर्व में खुफिया एजेंसी व इंटेलिजेंस की पुख्ता रिपोर्ट होने के बावजूद स्थानीय प्रशासन व पुलिस ने उक्त घटना में जिस तरह से कार्य किया है उससे प्रतीत होता है कि उक्त घटना पूर्व नियोजित व स्थानीय प्रशासन के शह पर जान बूझ कर कराया गया है |
साथ ही केन्द्रीय दुर्गा पूजा समिति की भूमिका संदिग्ध दिखाई देती है क्योकि उनके निमंत्रण पात्र पर 3 नंबर बिंदु में लिखा है की जूलूस में अधिक संख्या में लोग आये लिकिन महिलाओं व बच्चो को न लेकर आये | क्या उन्हें होने वाली हिंसा का अंदाजा पहले से ही था ?
हिंसा का कारण अभी तक यह निकलकर आया कि किसी नवयुवक द्वारा किसी लड़की को छेड़ना रहा तब वह नवयुवक कौन था ? क्या जूलूस के साथ मौजूद सुरक्षा बल ने उसे नहीं देखा ? इस घटना पर कोइ प्राथमिकी क्यों नहीं दर्ज की गयी |
अतः आपसे निवेदन है कि इन सभी बिन्दुओ को ध्यान में रखते हुए इस साम्प्रदायिक एवं निंदनीय घटना की स्वतन्त्र एजेंसी से जांच कराई जाए और दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाय | मृतकों के परिवार व घायलों को जल्द से जल्द उचित मुआवजा दिलाया जाय | साथ ही दीपावली और मुहर्रम के त्यौहार को ध्यान में रखते हुए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की जाय |

                                                       भवदीय
                                                      डा० लेनिन
                                                       महासचिव
                                               मानवाधिकार जननिगरानी समिति
                                                 सा 4/2 ए दौलतपुर, वाराणसी
                                                                                             +91-9935599333


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