यातना से पीड़िता सपना चैरसिया केस को लड़ने के प्रक्रिया में 16 जनवरी, 2013 सुबह 11:52 बजे मेरे मोबाईल न0-9935599333 पर 09452302585 से धमकी भरा काॅल आया। उसके तुरन्त बाद मैंने इस घटना के सम्बंध में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तथा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक महोदय, वाराणसी को तत्काल रजिस्ट्रर्ड डाक तथा ईमेल के माध्यम से सूचना प्रदान किया। लेकिन इसके बावजूद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तथा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, वाराणसी की तरफ से न कोई प्रतिउत्तर दिया गया और न ही कोई प्रभावी कार्यवाही किया गया।
यहाँ यह ध्यान देने कि जरुरत है कि सपना के केस में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को 5 दिसम्बर, 2012 को पीड़िता का शिकायत प्रार्थना पत्र भेजा गया था। इसके बाद (इस प्रयास में लगातार संघर्ष करने के पश्चात्) वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, वाराणसी की तरफ से हमें नोटिस प्राप्त हुआ और अन्ततः दिनांक 13 मार्च, 2013 को वाराणसी पुलिस द्वारा FIR दर्ज किया गया। (http://www.pvchr.net/2012/03/breaking-silence-hope.html)
कृपया मेरे बेटे के जन्मदिन (24 जनवरी, 2013) को दिये गये मेरे टेस्टीमनी को देखे, मै बहुत भली-भांति जानता हूँ कि पुलिस व माफिया मिलजुलकर मुझे व मेरे परिवार को मारना चाहते है और लगातार मुझे फर्जी केस में फंसाने की कोशिश में लगे हुये हैं।श्
20 दिसम्बर, 2012 एवं 16 जनवरी, 2013 को मुझे धमकियां दी जाती रही। इसलिये मैं यह निवेदन चाहता हूँ कि मेरे परिवार वालों तक पीड़िता सपना में जान-माल की सुरक्षा किया जाए तथा इस सम्बंध में सी0बी0सी0आई0डी0 या सी0बी0आई0 की एक उच्च स्तरीय जांच कमेटी बैठायी जाएं। जिससे की इस प्रकरण में संलिप्त भ्रष्टाचारियों जैसे कि मीड़िया, पुलिस, एन0जी0ओ0, वकील तथा संबन्धियों का भी पता लगया जाएं। क्योकि इस प्रकरण में मुझे इस केस से हटने व केस वापस लेने के लिये काफी फोन आया तथा काफी लोगों ने अपनी सलाह दिया। (इस केस) पहली बार अपनी जिन्दगी में मैंने इसके पहले यह महसूस किया कि मेरी मौत काफी करीब है। मै जीन्दगी में यह महसूस करता था। मैं अपनी मौत की परवाह किये बिना जीन्दगी के आखरी सांस तक भ्रष्टाचार एवं पृत्तसत्तात्मक तत्वों व मानसिकता से लड़ने जा रहा हूँ।
अगर मैं मर जाऊॅ तो कृपया PVCHR के लोगों का सहयोग करें और मेरे बेटे की देख-भाल करें, उसका ध्यान रखे। यह स्व0 व्यथा कथा (टेस्टीमोनी) मैं अपने बेटे कबीर कारुनिक के जन्मदिन 24 जनवरी, 2013 पर व्यक्त कर रहा हूँ। PVCHR ने इस घटना में अर्जन्ट अपील दायर की है। (http://www.pvchr.net/2013/01/india-threats-to-human right-defenders.html) और उसे UN, NHRC एवं अन्य सभी मानवाधिकार मुद्दों पर काम करने वाली बड़ी संस्थाओं को भेजा। हमें केवल एक सहयोग व संवेदन श्मानव अधिकार कार्यकत्र्ता सर्तकताश् जो कि पीपुल्स वाॅच से संचालित होता हैं। श्री बाधमबर पटनपायक जोकि NHRC, NGOs कार्यकारी समूह के सदस्य भी है, ने भी समर्थन किया और निदरलैण्ड सरकार से भी समर्थन प्राप्त हुआ। लेकिन अभी तक न तो UN, NHRC व अन्य मानवाधिकार संस्थाओं व कार्यकत्र्ताओ की तरफ न ही कोई प्रतिउत्तर दिया गया और न ही सहयोग व संवेदना प्रदान किया गया। लेकिन पूरे विश्व समुदाय से हमें काफी लोगों से वैयक्तिगत स्तर पर सहयोग संवेदना व प्राप्त हुआ। (http://www.pvchr.net/2013/03/case-reflect7atrocities-india-woman.html) लेकिन सिर्फ निदरलैण्ड दूतावास ने हमें फोन किया तथा घटना के सम्बंध में तथ्य की पूछा।
अभी तत्काल मुझे इलाहाबाद हाईकोर्ट से इस केस के सम्बंध में एक नोटिस प्राप्त हुआ है। जिससे कि मुझे 18 मार्च, 2013 को माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद की सामने प्रस्तुत होने का निर्देश प्राप्त हुआ। क्योंकि सपना के पति ने मुझे संदिग्ध व गैरकानूनी तौर पर उसकी पत्नी अपने कब्जे में रखा बताया था।
मैं श्रुति, फरहद, तनवीर अहमद (एडवोकेट), मनोज मिश्रा (एडवोकेट), नम्रता तिवारी, उच्च न्यायालय के कोर्ट 49 में प्रस्तुत हुए। माननीय न्यायधीश महोदय ने पीड़िता सपना तथा उसके भाई से सभी वास्तवीक तथा सत्य तथ्य के बारे में पूछा और पूरे तथ्यों व वास्तविक सच्चाई को देखते हुए पूरी इमानदारी से हमारे हक़ में फैसला सुनाया (कुछ दिनों में फैसले की काॅपी उपलब्ध करा दिया जायेगा) अभी हमने कोर्ट की काॅपी के लिये प्रार्थना दाखिल किया हैं। लेकिन बहस के दौरान, दोषी पति के वकील ने माननीय न्यायधीश के सामने बहुत ही संकीर्ण एवं प्रत्तसत्तात्मक व्यवहार प्रदर्शित किया। माननीय न्यायाधीश महोदय ने उसके किसी भी गलत अनैतिक तथ्यों व व्यवहार को संज्ञान में न लेते हुए पीड़िता के जीवन जीने का गरिमापूर्ण अधिकर का उल्लघंन माना।
यहाँ पर कोई भी गैर जिम्मेदार व ताकतवर व्यक्ति को यह अधिकार नही है िकवह न्यायिक प्रक्रिया व प्रणाली का गलत व गैर जिम्मेदाराना प्रयोग एक गरीब महिला के खिलाफ करें। मैं बहुत आश्र्चय चकित हुँ कि मानव अधिकार विषयों व मुद्दों की रक्षा करने वाली प्रमुख संस्थाएं UN, NHRC, EU एवं अन्य राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय मानव अधिकार संस्थाओं ने इस घटना पर न तो कोई सहयोग दिया और न ही कोई संवेदना प्रकट किया है। जो कि मानव अधिकार कार्यकत्र्ताओं की रक्षा सुरक्षा के लिये कार्य करती हैं। हमारे कुछ यूरोप के गणमान्य साथी जो कि हमारी संस्थाओं से जुड़कर काम कर रहे। वह भी पूर्णता शान्त व मूकदर्शन बने हैं। क्यों क्योंकि यूरोप को भारत के बाजार की आवश्यकता है। यूरोप भारत के हिन्दू कट्टरपंथीयों व उनकी सोच का भारत में व्यवसायिक प्रगति व आर्थिक हित के लिये प्रयोग व सहयोग चाहती हैं।
कहाँ पर है यूरोप का मानविय मूल्य एवं अन्तर्राष्ट्रीय मानव गरिमा की सुरक्षा का मूल्य लोग मुझे पंसद करते है क्योकि हम अन्तर्राष्ट्रीय मूल्यों की सुरक्षा व प्रगति के लिये खतरों, धमकियो तथा दबाव का नित्य सामना करते हैं। शीना को बहुत शुक्रिया जो कि जर्मनी से है। (अभी न्यूजीलैण्ड में है) PVCHR और से जुड़े सभी लोगों को जिन्होंने इस गम्भीर समय में मुझे मनोवैज्ञानिक सहयोग व अपना हार्दिक संवेदना प्रदान किया।
मैं अभी बाब मेयरली को सुन रहा हुँ। उठ जाओं और खडे हो जाओं।
(http://www.youtube.com/watch?vJum)
(http://en.wikipedia.org/wiki/lenin Raghuvanshi)
लेनिन रघुवंशी
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