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Reducing police torture against Muslim at Grass root level by engaging and strengthening Human Rights institutions in India

Monday, January 23, 2012

चुनाव के बहाने राजनैतिक दलों व जनता से कुछ खरी-खरी


http://www.pvchr.net/2012/01/blog-post_23.html

            चुनाव आ गया है। वादे शुरू हो गये। चुनाव के बाद सरकार बनने वाली हैं। जो मानवाधिकार, कानून के राज व लोकतंत्र का नाम लेकर उसी का गला घोट देगी। मुद्दों को उठाने में कई पार्टिया एवं संगठन भ्रष्टाचार दिखा रही हैं। मानवाधिकार, कानून का राज व लोकतंत्र तब तक नही बचाया जा सकता है या फिर भ्रष्टाचार खत्म नही किया जा सकता है, जब तक वंचित तबके, अल्पसंख्यक व हाँसिये पर रह रहे लोगों का अधिकार न बचाया जाय और उसके लिए कानून व लागू करने वाला सक्रिय संस्थाओं को स्थापित न किया जाय।

            मैला उठाने वाले समाज के लिए तीन राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोगों का गठन किया गया, किन्तु आज तक संसद के पटल पर एक भी आयोग की रपट नही रखी गयी। वही दलितों की मसीहा ने उत्तर प्रदेश में मैला उठाने वाले लोगों की योजना लागू करने की गारण्टी लेने से मना कर दिया, जिससे केन्द्र से आने वाली करोड़ों रूपये की योजना बन्द हो गयी। मुसहर व मैला ढ़ोने वाले लोग अब लोगों के एजेण्डे पर नही हैं, क्योकि इस तबके के लोग बहुत ही कम संख्या में शासन, प्रशासन, मीडिया, सांसद व विधायिका में है।

            कानून के राज की स्थिति इतनी खराब है कि पुलिस की जगह लोग असलहे खरीद रहे है या माफियाओं को 'राबिनहुड'की तरह से गले लगा रहे है। 2009 के बाद 9 हजार से करीब 15 हजार असलहों का लाइसेंस हो गया बनारस में। गाँधी व महात्मा बुद्ध एवं डा0 अम्बेडकर के अहिंसा की दुहाई देकर दुनिया में नेतृत्व करने की इच्छा रखने वाले भारत को मानवाधिकार लागू करने एवं पुलिस यातना के खिलाफ कानून बनाने में डर लगता है।

            बनारस के बुनकरों को छः हजार करोड़ का पैकेज मिला और आधा पैसा कापरेटिव के लिए हैं। कापरेटिव कितना ईमानदार है ? पैसा किनकी जेब में जायेगा, ये तो बुनकर तय करे ? किन्तु हैण्डलूम (हथकरघा) बुनकरों के बिजली बिल कब माफ होगी। बुनकरों के नाम पर गद्दीदारों को ही कब तक फायदा पहुचाया जायेगा ? सीधे बाजार से जोड़ने की योजना क्यो नही चली ??

            मुरादाबाद, बरेली व मेरठ में मुसलमानों पर सीधे हमले हुए किन्तु राजनैतिक पार्टियाँ चुप है, क्यों ? मेरठ में ईनाम की बेटी आधी जल गयी, सहसपुर में एक बच्चा करा एवं वाराणसी के बजरडीहा में दो मुसलमान बच्चों को पुलिस ने गोली मार दी। गोरखपुर के इलाके में हिन्दूवाद के नाम पर एक फासीवादी व्यक्ति की गुण्डागर्दी चल रही हैं। किन्तु सभी चुप है और मुसलमानों के बीच की साम्प्रदायिक ताकते ''मुसलमानों का सवाल मुसलमान उठायेगा" (ऐसा बुनकरों की बैठक में मेरे साथ भी हुआ) कहकर असली लड़ाई को भटकाकर साम्प्रदायिक फासीवाद (हिन्दू फासीवाद) को मजबूत कर रहा है। मुसलमानों को रंगनाथ मिश्रा कमेटी की सिफारिश के आधार पर शासन एवं सच्चर कमेटी की सिफारिश के आधार पर न्याय दिया जाय!!

            जब हमारा विचार ही भ्रष्ट (साम्प्रदायिकता, साम्प्रदायिक फासीवाद, जातिवाद, पितृ सत्तात्मक) है तो हम विचार से पैदा होने वाले आचार (भ्रष्टाचार) को कैसे रोक सकते है ? इसलिए जनता व राजनैतिक दल मजबूत भारत के लिए अल्पसंख्यको, वंचितों व हाशियें पर खड़े लोगों के लिए खड़ा हो। औरतों व अल्पसंख्यकों को आरक्षण देकर सभी की भागीदारी सुनिश्चित करे, कानून के राज के लिए पुलिस यातना विरोधी कानून लागू किया जाय, फर्जी पुलिस मुठभेड़ रोकी जाय। तभी हम कानून का राज व लोकतंत्र स्थापित कर सकते हैं। साथ ही उ0प्र0 की जनता से अपील है कि वे भारत के अन्‍य क्षेत्र के मुद्दों पर भी राजनैतिक दलों से सवाल उठाये। जिससे एक नये राष्ट्र-राज्‍य (नेशन-स्‍टेट) का निर्माण किया जा सके, जो धर्म निरपेक्षता, समता, बंधुत्‍व, अहिंसा पर आधारित हो।  

भवदीय

 

 

 

(डा0 लेनिन)

महासचिव

2007 ग्वांजू पुरस्कार

2008 आचा पीस स्टार अवार्ड

2010 वाइमर ह्यूमन राइट्स पुरस्कार

पता.सा0 4/2, दौलतपुर,

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